सीएनटी में संशोधन करें, पर संभल कर
आज से करीब 106 साल पहले सीएनटी एक्ट बना. रांची में उस समय हजारों की संख्या में आबादी निवास करती थी. अब यहां की आबादी बढ़ गयी है. लोग प्राचीन बिहार से भी आकर रह रहे हैं. लेकिन दिक्कतें सिर्फ आदिवासी समाज को ही नहीं हो रही है. मेरा परिवार काम की तलाश में 1959 […]
आज से करीब 106 साल पहले सीएनटी एक्ट बना. रांची में उस समय हजारों की संख्या में आबादी निवास करती थी. अब यहां की आबादी बढ़ गयी है. लोग प्राचीन बिहार से भी आकर रह रहे हैं. लेकिन दिक्कतें सिर्फ आदिवासी समाज को ही नहीं हो रही है.
मेरा परिवार काम की तलाश में 1959 में रांची आया था. इतने साल बाद भी आज हमारा परिवार सिर छिपाने के लिए अपना मकान नहीं बना पाया है. कारण वही सीएनटी एक्ट के तहत जमीन की खरीद-फरोख्त का मामला है. हालांकि हमने मकान बनाने के लिए दो कट्ठा जमीन ली भी थी, लेकिन विवाद के कारण मामला कोर्ट में पहुंच गया. आज मेरे हक में डिग्री मिलने के बावजूद हम बिना छत के ही किराये पर रह रहे हैं. इसीलिए मेरा निजी विचार है कि यदि सरकार सीएनटी एक्ट में संशोधन करती है, तो वह हर पहलू पर विचार करे.
किशनलाल, रांची