…तो क्या हमारे देश में बच्चे अधिक हैं

एक दिन मैंने प्रभात खबर में भारत-चीन के बारे में पढ़ा. मैं उस समाचार से सहमत हूं. हमारा भारत महान है और उसे महान बनाना है. मगर हममें एक खराबी है. वह यह कि जब हमें सफलता मिलती है, तो हम सालों तक उसका जश्न मनाते रहते हैं. जबकि चीन की खासियत है कि वहां […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 28, 2014 4:49 AM

एक दिन मैंने प्रभात खबर में भारत-चीन के बारे में पढ़ा. मैं उस समाचार से सहमत हूं. हमारा भारत महान है और उसे महान बनाना है. मगर हममें एक खराबी है. वह यह कि जब हमें सफलता मिलती है, तो हम सालों तक उसका जश्न मनाते रहते हैं.

जबकि चीन की खासियत है कि वहां छोटे से छोटे कामों पर सेंट्रल गवर्नमेंट की नजर टिकी रहती है. फिर मैंने खबर पढ़ी कि वर्ष 2020 तक भारत दुनिया में सबसे अधिक युवाओं वाला देश होगा. इसका मतलब यह हुआ कि आर्थिक और प्रशासनिक रूप से अभी दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले काफी बच्चे हैं. ये बच्चे नहीं, देश के भविष्य हैं. मगर आज देश के इन भविष्यों को ढंग से स्कूली शिक्षा प्राप्त करने की सुविधा भी नहीं मिल पा रही है. सरकारी स्कूलों का हाल तो जगजाहिर है. मगर इसमें सुधार के लिए नेता व अधिकारी भी सजग नहीं हैं.

ललित प्रधान, मुरुप

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