एंथ्रेक्स को फैलने से रोकना होगा

झारखंड के सिमडेगा जिले के बानो प्रखंड में एंथ्रेक्स से सात लोगों की मौत की खबर से भय का माहौल बन गया है. अब तो रिम्स में इस बात की पुष्टि भी हो चुकी है कि यह कोई अज्ञात बीमारी नहीं बल्कि एंथ्रेक्स ही है. अब सरकार चौकस हो गयी है और प्रभावित इलाके में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 28, 2014 4:53 AM

झारखंड के सिमडेगा जिले के बानो प्रखंड में एंथ्रेक्स से सात लोगों की मौत की खबर से भय का माहौल बन गया है. अब तो रिम्स में इस बात की पुष्टि भी हो चुकी है कि यह कोई अज्ञात बीमारी नहीं बल्कि एंथ्रेक्स ही है. अब सरकार चौकस हो गयी है और प्रभावित इलाके में इलाज की व्यवस्था की जा रही है. चिंता की बात यह है कि आरंभ में जब एक-एक कर लोग मर रहे थे, तो किसी ने नहीं जानने की कोशिश की कि मौत का कारण क्या है. स्वास्थ्य विभाग का ध्यान नहीं गया जबकि सरकार के पास इसके लिए पर्याप्त चैनल हैं.

अगर शुरू में ही बीमारी पकड़ी जाती तो इतने लोगों की मौत नहीं हो पाती. अब सरकार अटलांटा से सहयोग मांगने जा रही है. एंथे्रक्स कोई लाइलाज बीमारी नहीं है. इसका इलाज है. इसके लिए केंद्र की टीम भी बानो आ चुकी है. राज्य सरकार की टीम भी वहां है. अब सरकार के पास सबसे बड़ी चुनौती है इस बीमारी को फैलने से रोकना. इसके लिए भयभीत होने से काम नहीं चलेगा.

जिस गांव में यह बीमारी फैली है, जहां के लोग इससे आक्रांत है, उनको बाहर जाने से रोकना होगा ताकि बीमारी और नहीं फैले. इसके साथ ही उन लोगों को भी चौकस रहना होगा जो इलाज के लिए या जांच के लिए उन गांवों में जा रहे हैं. सिर्फ व्यक्ति ही नहीं, जानवरों पर भी नजर रखनी होगी. सबसे जरूरी है कि प्रभावित गांवों के लोगों में जागरूकता फैलाना. उन्हें यह बताना कि एक ओर दवा का प्रयोग जरूरी है, दूसरी ओर जिन कारणों से यह बीमारी फैली है, उस पर नजर रखना. हो सकता है कि इस गांव का कोई व्यक्ति बाहर गया हो और वहीं एंथ्रेक्स से पीडि़त हो गया हो. छिपाने के बजाय कारणों को बताना होगा.
हालांकि एनसीडीसी की टीम बानो पहुंच चुकी है और ब्लड सैंपल भी ले रही है. लेकिन इसके लिए अतिरिक्त सतर्कता की जरूरत है. अभी तक एंथ्रेक्स एक खास इलाके में ही फैला है, इसलिए इस पर नियंत्रण में बहुत परेशानी नहीं होनी चाहिए. लेकिन इसके लिए राज्य के स्वास्थ्य विभाग को पूरी सतर्कता से काम करना होगा. प्रभावित इलाके के लोगों को जानवरों के मांस के प्रयोग से बचना होगा. जो जानवर मर गये हैं, उन्हें जलाना होगा ताकि एंथे्रक्स के जीवाणु नष्ट हो जायें. ऐसा नहीं करने से एंथ्रेक्स पर पूर्ण नियंत्रण मुश्किल होगा.

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