.. अब पुलिसवाले मिठाइयां खा रहे

दुनिया बदल गयी है. देश बदल रहा है. इसलिए पुलिस वाले भी बदल गये हैं. बेचारे पहले घूस खाने के लिए बदनाम थे. पर,अब ऐसा नहीं रहा. पुलिस वाले तो अब घूस के बदले मिठाइयां खा रहे हैं. भला हो उस बच्ची का जिसकी वजह से पुलिसवालों के मिठाइयां खाने का राज-फाश हुआ. वरना पुलिसवाले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 29, 2014 12:35 AM

दुनिया बदल गयी है. देश बदल रहा है. इसलिए पुलिस वाले भी बदल गये हैं. बेचारे पहले घूस खाने के लिए बदनाम थे. पर,अब ऐसा नहीं रहा. पुलिस वाले तो अब घूस के बदले मिठाइयां खा रहे हैं.

भला हो उस बच्ची का जिसकी वजह से पुलिसवालों के मिठाइयां खाने का राज-फाश हुआ. वरना पुलिसवाले तो घूस खाने के लिए ही बदनाम होते रहते. बेचारे चाह कर भी अपने अंदर आयी तब्दीली का प्रचार नहीं कर पाते. पड़ोस की बच्ची ना पासपार्ट बनाने की कोशिश करती ना पुलिसवालों की मुश्किल हल होती. बच्ची अभी पढ़ रही है. उसे विदेश जाना था.

इसलिए पासपोर्ट बनवाना था. उसने इंटरनेट पर पासपोर्ट का फार्म भरा. पासपोर्ट आफिस के बाबू ने बिना किसी झंझट के ही आवेदन स्वीकार कर लिया. हफ्ते भर बाद कागज-पत्तर के साथ दफ्तर में हाजिर होने का संदेश भेजा. वह भी एसएमएस के सहारे, सीधे बच्ची के मोबाइल पर. आखिर वह दिन आ ही गया जब बच्ची कागज-पत्तर के साथ पासपोर्ट आफिस पहुंची. कागज की जांच करायी. दो दिन बाद दूसरा एसएमएस आया. इसमें पुलिस जांच कराने का निर्देश था, ताकि यह पता चल सके कि बच्ची का चरित्र ठीक है. वह उलझन में थी कि आखिर इसकी क्या जरूरत? तभी फोन की घंटी बजी. थाने से सिपाही जी का फोन था. फोन उठाते ही पुलिसवाले ने कहा कि पासपोर्ट वेरिफिकेशन के लिए आया है.

मुझको ही जांच करनी है कि ‘आवेदक चोर-डाकू तो नहीं.’ पुलिसवाले ने जांच के लिए बच्ची को थाने आने का फरमान सुनाया. इससे बच्ची घबरायी, क्योंकि उसने पुलिस वालों की ढेर सारी कहानियां सुन रखी थीं. स्कूल से कॉलेज तक के सफर में कई बार रिक्शे वालों को गालियां देते सुना था. इसलिए बच्ची थाना जाने के नाम से ही घबरायी. पर, अखबार की उस खबर से उसकी घबराहट दूर हो गयी, जिस पर एक बड़े अफसर के हवाले से यह खबर थी कि अब पुलिसवाले आम लोगों के साथ दोस्तों जैसा बरताव करते हैं. खबर पढ़ कर बच्ची ख़ुश हुई और जांच के लिए थाने पहुंची. वहां बैठे अफसर को अपना नाम और आने की वजह बतायी. अफसर ने हल्की मुस्कान के साथ मुंशी जी से मिलने को कहा. बच्ची मुंशी जी के पास पहुंची. उन्हें अपने सामने किसी के होने का एहसास था. पर, वह नजरें गड़ाये कलम घिसते रहे.

फिर बच्ची से आने की वजह पूछी. दस्तावेज लेकर उस पर एक सरसरी नजर डाली. मुंशी जी ने मुस्कुराते हुए कहा सब ठीक है. अब मिठाई खिलाइए. लगे हाथ मिठाई की कीमत भी बता दी. बच्ची ने शरमाते हुए 500 का नोट निकाला और मुंशी को थमा दिया. मुंशी जी बोले – इतने की मिठाई तो साहब ही खा जायेंगे. बच्ची ने बिना ङिाझक पूछ लिया, आप कितने की खायेंगे? मुंशी जी ने विक्ट्री साइन बनायी. बच्ची ने 100-100 के दो नोट निकाल कर उन्हें थमा दिये. मुंशी जी मुस्कुराते हुए बोले – काम हो गया. बच्ची घर लौटी. घर वालों ने पूछा क्या हुआ ? उसने कहा, कुछ नहीं. पुलिस अंकल ने जांच के नाम पर 700 की मिठाई खा ली और काम कर दिया.

शकील अख्तर

प्रभात खबर,रांची

shakeel.akhter@prabhatkhabar.in

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