विवेक चंद्र
राज्य के चुनावी दंगल में महिलाओं का हाल बेहाल रहा है. 2005 और 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में पुरुषों के मुकाबले काफी कम महिलाएं चुनावी दंगल में उतरी थी. वर्ष 2005 में राज्य की 81 सीटों पर 1296 पुरुष प्रत्याशियों के मुकाबले केवल 94 महिलाएं मैदान मे थीं. इसमें से 85 तो अपनी जमानत तक नहीं बचा सकी थीं. राज्य की केवल पांच सीटों पर महिलाओं का कब्जा हो सका था. वहीं, वर्ष 2009 में हुए चुनावों में 1205 पुरुष प्रत्याशियों और 107 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था. उनमें से 94 महिला प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गयी थी. पिछले चुनाव में आठ महिलाओं ने चुनाव जीत कर विधायक की कुरसी हासिल की थी.
पार्टियां भी महिलाओं को टिकट देने में करती हैं कंजूसी
राज्य में महिला मतदाताओं की संख्या 85,13,795 है. बावजूद इसके राजनीतिक दल झारखंड की महिलाओं पर कम ही भरोसा करते हैं. चुनाव में राजनीतिक दल महिलाओं को टिकट देने में काफी कंजूसी बरतते हैं. वर्ष 2009 के चुनाव में भाजपा ने 10 और कांग्रेस ने तीन ही सीटों पर महिला उम्मीदवार उतारे थे. क्षेत्रीय दलों ने भी महिलाओं में रुचि नहीं ली थी. राजद ने नौ, झामुमो ने तीन, आजसू ने पांच और जदयू ने केवल एक महिला को टिकट दिया था.
सबसे ज्यादा 30 महिलाओं ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था. वर्ष 2005 के चुनावों में भी राष्ट्रीय पार्टियों में कांग्रेस ने दो सीटों पर व भाजपा ने तीन सीटों पर ही महिलाओं को टिकट दिया था. वहीं, झामुमो ने तो एक भी महिला उम्मीवार मैदान में नहीं उतारा था. आजसू ने दो महिलाओं को टिकट दिया था. राजद के बैनर तले पांच व एलजेपी की छह महिला प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था. बीएसपी ने सबसे ज्यादा सात महिला उम्मीदवार मैदान में उतारे थे.