चुनाव में नक्सली हिंसा बड़ी चुनौती

झारखंड में चुनाव के दौरान कानून-व्यवस्था के साथ ही नक्सली व उग्रवादी हिंसा पर काबू पाना सबसे बड़ी चुनौती रही है. राज्य की महज 81 सीटों के लिए पांच चरणों में विधानसभा चुनाव कराये जा रहे हैं, ताकि सुरक्षा व्यवस्था मुकम्मल रहे. नक्सलियों और उग्रवादियों की किसी भी मंशा को नाकाम कर दिया जाये. सुरक्षा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 10, 2014 1:20 AM
झारखंड में चुनाव के दौरान कानून-व्यवस्था के साथ ही नक्सली व उग्रवादी हिंसा पर काबू पाना सबसे बड़ी चुनौती रही है. राज्य की महज 81 सीटों के लिए पांच चरणों में विधानसभा चुनाव कराये जा रहे हैं, ताकि सुरक्षा व्यवस्था मुकम्मल रहे. नक्सलियों और उग्रवादियों की किसी भी मंशा को नाकाम कर दिया जाये.
सुरक्षा बलों ने एक दिन पहले खूंटी जिले के रनिया जंगल से सौ किलो और 50 किलो की दो बारूदी सुरंगें बरामद कर चुनाव के दौरान किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की उग्रवादियों की एक बड़ी साजिश को विफल कर दिया है. ये बम इतने शक्तिशाली थे कि बस या ट्रक के भी चिथड़े उड़ सकते थे. राज्य में इससे पहले इतने बड़े बम नहीं देखे गये थे. दो दिन पहले भी खूंटी जिले के ही मुरहू स्थित जंगल से पुलिस ने सेना के छापवाली24 जैकेट बरामद किये थे.
पुलिस इस आशंका पर भी सतर्क है कि चुनाव को प्रभावित करने के लिए नक्सली-उग्रवादी नये-नये हथकंडे अपना सकते हैं. हालांकि इस बार डीजीपी के निर्देश पर राज्य विधानसभा चुनाव में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम के दावे किये जा रहे हैं. नक्सलियों की नयी रणनीति को ध्यान में रख कर भी पुलिस ने तैयारी की है.
चुनाव के दौरान फोर्स को नक्सली हमले से बचाने के लिए भी योजना बनायी गयी है. पिछले लोकसभा चुनाव में दुमका और बोकारो में नक्सलियों ने जिस तरह बड़ी घटना को अंजाम दिया था, उसे देखते हुए भी पुलिस इस बार पूरी तरह सतर्क है. जिला पुलिस को निर्देश दिया गया है कि जब सुरक्षा बल किसी मार्ग से गुजरे, तब उस मार्ग की अच्छी तरह जांच कर ली जाये. जवानों को ठहराने से पूर्व उसके चारों ओर भी अच्छी तरह जांच करने का निर्देश दिया गया है.
नक्सली क्षेत्र में पुलिस वाहनों का इस्तेमाल कम से कम करने की सलाह दी गयी है. लूज मूवमेंट रोकने को कहा गया है. जवानों को सुरक्षा उपकरणों के साथ ही गश्ती के दौरान बख्तरबंद वाहनों के इस्तेमाल की सलाह दी गयी है. सुरक्षा व्यवस्था की समय-समय पर मॉनिटरिंग की जिम्मेवारी वरीय पुलिस अधिकारियों को दी गयी है, ताकि इस बार हिंसा रहित चुनाव संपन्न कराया जा सके.दो वर्ष पूर्व जेल से निकले अपराधियों, उग्रवादियों और नक्सली पर भी निगरानी रखने का निर्देश दिया गया है.

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