भारत में बढ़ रही बाल मजदूरी
चाचा नेहरू के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में पूरे भारत में मनाया जाता है. उस दिन देश के कई स्कूलों में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं और बच्चों के बीच मिठाइयां, चॉकलेट, तोहफे बांटे जाते हैं. मगर यह विडंबना यह है कि जिस देश में बाल दिवस हर्षोल्लास से मनाया जाता है, […]
चाचा नेहरू के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में पूरे भारत में मनाया जाता है. उस दिन देश के कई स्कूलों में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं और बच्चों के बीच मिठाइयां, चॉकलेट, तोहफे बांटे जाते हैं. मगर यह विडंबना यह है कि जिस देश में बाल दिवस हर्षोल्लास से मनाया जाता है, उस देश में बाल मजदूरों की संख्या दुनिया के अन्य देशों से अधिक है.
देश के जिन छोटे-छोटे नौनिहालों को कच्ची उम्र में शिक्षा ग्रहण और खेलना-कूदना चाहिए, उस उम्र में वे बच्चे सड़कों के किनारे फूल, अखबार, खिलौने बेचते नजर आते हैं, होटलों में जूठे बरतन मांजते हैं और ईंट भट्ठों पर मिट्टी पाथते हैं.
सबसे दुखद बात तो यह है कि जो लोग बाल मजदूरी के नाम पर घंटों बहस करते नजर आते हैं, उनके घरों में घरेलू नौकर के रूप में छोटे-छोटे बच्चे काम करते पाये जाते हैं. सरकार में मंत्री और अफसर के रूप में काम कर रहे लोगों की फैक्टरियों में बालक काम करते हैं. बड़े लोगों की जेबों को मोटी करनेवाले इन बाल मजदूरों पर शोषण किया जाता है.
ये बेचारे गाली-गलौज, मार-पीट और यौन शोषण का शिकार होते हैं. छोटी बच्चियों को काम दिलाने के नाम पर दूसरे शहरों में या तो बेच दिया जाता है या फिर किसी रइस के घरों में काम पर लगा दिया जाता है. इन स्थानों पर उन नन्हीं बच्चियों का लगातार यौन शोषण होता है. इस देश में मानव तस्करी करनेवाले एक नहीं, अनेक लोग सक्रिय हैं और उन्हें हमारी सरकारी आदमियों द्वारा संरक्षित किया जा रहा है. हालांकि सरकार ने बाल मजदूरी रोकने के लिए हेल्पलाइन की शुरुआत भी की है. इसके बावजूद देश में बाल मजदूरों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. इसे समाप्त करने की दिशा में कदम उठाने होंगे.
चंदा साहू, देवघर