वोट उसे दें, जो सपने करे साकार

जिस समय संयुक्त बिहार का उपेक्षित दक्षिणी हिस्सा झारखंड के रूप में अलग हो रहा था, तो यहां के संघर्षशील निवासी काफी उत्साहित थे. इस वन प्रदेश के दूरस्थ गांव के लोग सिर्फ यह जानते थे कि उनका झारखंड सोने की चिड़िया होगा. हर क्षेत्र में उनका राज्य अव्वल रहेगा, क्योंकि उसके पास खनिज संपदा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 24, 2014 3:10 AM

जिस समय संयुक्त बिहार का उपेक्षित दक्षिणी हिस्सा झारखंड के रूप में अलग हो रहा था, तो यहां के संघर्षशील निवासी काफी उत्साहित थे. इस वन प्रदेश के दूरस्थ गांव के लोग सिर्फ यह जानते थे कि उनका झारखंड सोने की चिड़िया होगा.

हर क्षेत्र में उनका राज्य अव्वल रहेगा, क्योंकि उसके पास खनिज संपदा का भंडार है. यहां की सारी समस्याएं अलग राज्य बनते ही छूमंतर हो जायेंगी. मगर, क्या अलग राज्य गठन होने के बाद झारखंड में इसके साथ बने राज्यों के बराबर विकास, जनहितकारी कार्य, रोजगारोन्मुखी काम, हरियाली, शिक्षा, तकनीकी आदि की सुविधाएं मिल रही हैं? आज हमारा सिर उनके विकास के आगे शर्म से झुक जा रहा है.

हम शर्म से यह भी नहीं कह सकते कि हम उसी अलग राज्य झारखंड के रहनेवाले हैं, जहां हम सुख-शांति से जीवन-यापन करने के सपने देखे थे. आज हमारी तिजोरी की चाबी ऐसे धोखेबाज शासकों के हाथ में है, जो केवल नेता बदल-बदल कर हमें लूटने का काम कर रहे हैं. हमें अब विकास का सपना देखने की हिम्मत नहीं होती.

शायद यहां की जनता के भाग्य में सुख-शांति नहीं है. ऐशो-आराम का जीवन जीने का भाग्य उन लुटेरे नेताओं के हाथों में लिखा है, जो दिन-रात एक करके तिजोरी को लूटने में लगे हैं. हम जनता भोले-भाले हैं और उपेक्षित हैं. हम सोये हुए हैं, तो हमें सुख-सुविधा कहां नसीब होगी. लुटेरे दिन तो दिन, रात में भी जाग रहे हैं. आज स्थिति यह है कि राज्य के जिन नेताओं को हमने सत्ता की बागडोर सौंपी, वे यदि अपने बेटे के सिर पर हाथ धर कर भी कसम खायें तो हम उन पर फिर यकीन नहीं करेंगे. अब हम उस नेता को अपना मत देंगे, जो ईमानदार और विकास करके हमारे सपने को साकार करेगा.

रमेश चंद्र महतो, बोकारो

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