काले धन पर बहस से सुलङोगी गुत्थी!

काला धन के मुद्दे पर संसद में बहस के लिए सत्ता पक्ष को राजी करने में विपक्ष को काफी हंगामा करना पड़ा, स्पीकर की फटकार भी सुननी पड़ी. इस मुद्दे पर कार्य-स्थगन नोटिस को लोकसभा अध्यक्ष ने यह कहते हुए नामंजूर कर दिया कि इसे राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा नहीं माना जा सकता. लेकिन, यह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 26, 2014 11:08 PM

काला धन के मुद्दे पर संसद में बहस के लिए सत्ता पक्ष को राजी करने में विपक्ष को काफी हंगामा करना पड़ा, स्पीकर की फटकार भी सुननी पड़ी.

इस मुद्दे पर कार्य-स्थगन नोटिस को लोकसभा अध्यक्ष ने यह कहते हुए नामंजूर कर दिया कि इसे राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा नहीं माना जा सकता. लेकिन, यह बहस जरूरी हो गयी थी, क्योंकि लोग जानना चाहते हैं कि काले धन को सौ दिनों में विदेश से वापस लाने का नरेंद्र मोदी का अहम चुनावी वादा पूरा क्यों नहीं हो सका.

सरकार द्वारा सत्ता संभालते ही सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर विशेष जांच दल गठित किये जाने से उम्मीद बंधी थी कि मोदी अपने वादे को पूरा करने की दिशा में तेजी से कदम उठायेंगे. लेकिन, बाद में जिस बेचारगी के साथ सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय संधियों के कारण सरकार के हाथ बंधे हुए हैं, और ‘मन की बात’ में कहा गया कि काला धन का कोई आंकड़ा सरकार के पास है ही नहीं, उससे लोगों की उम्मीदों को चोट पहुंची. सवाल पूछा जाने लगा कि वे संधियां और अड़चनें तो तब भी थीं, जब भाजपा नेता इस मुद्दे पर यूपीए सरकार को कोस रहे थे.

उम्मीदों को पहुंची चोट और गहरी होती गयी, जब लोगों ने देखा कि मोदी शासन के दौर में भी भाजपा दूसरे दलों से आये भ्रष्टाचार और अपराध के दागी नेताओं को धड़ल्ले से टिकट बांट रही है. पार्टी का यह कदम काले धन के आकार को और बढ़ा सकता है, क्योंकि जाने-माने अर्थशास्त्री अरुण कुमार का आकलन है कि ‘हमारी अर्थव्यवस्था में हर साल जितना काला धन पैदा होता है, उसका केवल 10 फीसदी ही देश से बाहर जाता है और काला धन का पूरा खेल भ्रष्ट राजनेताओं, नौकरशाहों एवं व्यवसायियों की तिकड़ी द्वारा संचालित होता है. इसलिए इस पर रोक लगाने के लिए देश में ही इच्छाशक्ति दिखाने और कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है.’ अब लोगों के मन में यह सवाल भी है कि अगर नरेंद्र मोदी सफाई को एक राष्ट्रीय अभियान बना सकते हैं, दूर देश में जाकर भारत का डंका बजा सकते हैं, तो अपने देश में जमा काले धन को तलाशने और भविष्य में काले धन की उत्पत्ति को रोकने के लिए कोई बड़ा कदम क्यों नहीं उठा सकते? क्या हम उम्मीद करें कि संसद में जो बहस शुरू हुई है, उससे इन सवालों की गुत्थी कुछ सुलङोगी!

Next Article

Exit mobile version