जरा सोचो, कभी ऐसा हो तो क्या हो?

अरसे बाद एक ऐसी सनसनाती खबर (सनसनी नहीं) आयी है जो मोदी विरोधियों के धधकते सीने को ठंडक पहुंचा सकती है. खबर भी ऐसी जिसके न सिर्फ गहरे निहितार्थ हैं, बल्कि दूरगामी राजनीतिक परिणाम भी हो सकते हैं. गुजरात के मेहसाणा में अपने भाई के साथ रह रहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पत्नी जशोदाबेन ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 26, 2014 11:09 PM

अरसे बाद एक ऐसी सनसनाती खबर (सनसनी नहीं) आयी है जो मोदी विरोधियों के धधकते सीने को ठंडक पहुंचा सकती है. खबर भी ऐसी जिसके न सिर्फ गहरे निहितार्थ हैं, बल्कि दूरगामी राजनीतिक परिणाम भी हो सकते हैं. गुजरात के मेहसाणा में अपने भाई के साथ रह रहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पत्नी जशोदाबेन ने एक आरटीआइ दाखिल कर उन्हें मिलने वाली सुविधाओं और सिक्योरिटी कवर की जानकारी मांगी है. उन्होंने पूछा है, ‘‘मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पत्नी हूं.

मैं यह जानकारी चाहती हूं कि प्रोटोकॉल के तहत मुङो दूसरी और क्या सुविधाएं और सुरक्षा कवर मिल सकता है?’’ अपने आवेदन में जशोदाबेन ने शिकायत करते हुए लिखा है, ‘‘मैं पब्लिक ट्रांसपोर्ट से सफर करती हूं, जबकि मेरे सिक्योरिटी ऑफिसर निजी वाहन से जाते हैं. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सुरक्षाकर्मियों ने हत्या कर दी थी. मुङो इस समय अपने सिक्योरिटी कवर को लेकर भय महसूस होता है. इसलिए मुङो मेरी सिक्योरिटी में लगे सुरक्षाकर्मियों की पूरी जानकारी मुहैया करायी जाये.’’

यह सभी जानते हैं कि नरेंद्र मोदी ने कभी भी अपने सार्वजनिक जीवन में जसोदाबेन को अपनी पत्नी का दर्जा नहीं दिया. वे कभी उनके बारे में कुछ भी नहीं बोलते. मोदी की यह चुप्पी उनके मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री बनने के बाद तक कायम है. हां, पिछले लोकसभा चुनाव में उनके प्रतिद्वंद्वियों ने अवश्य इसे मुद्दा बनाया, पर इससे उनका ‘उल्लू सीधा न हो सका.’ मोदी इस मुद्दे को लेकर कभी विचलित नहीं हुए. हां, गाहे-बगाहे जसोदाबेन खुद ही इस मुद्दे पर अवश्य बोलती रही हैं. पर इस बार मामला काफी गंभीर लग रहा है. इस मामले को ऐसे भी देखा जाना चाहिए कि जसोदाबेन आखिर अपनी सुरक्षा को लेकर अचानक क्यों चिंतित हो गयीं? इसके पीछे उनकी क्या सोच है? क्या जसोदाबेन ने ऐसा पहली बार सोचा है? हालांकि बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि सोच कभी भी आ सकती है. इस पर किसी का वश नहीं होता.

अब अगर बड़े-बुजुर्गो की कही इस बात को सच मानें (हालांकि सच नहीं मानने की न तो कोई वजह है और न ही मिजाज) तो एक और ‘सोच’ इस सोच की दिशा बदल सकती है. खुदा न खास्ता कहीं किसी राजनीतिक दल को (भाजपा तो ऐसा नहीं ही करेगी) जसोदबेन को राज्यसभा के टिकट पर संसद में भेजने जैसी ‘सोच’ कौंध गयी तो सोचिये कैसा नजारा होगा संसद का. फिलहाल तो यह लेखक का ख्याल भर है. पर दुआ और प्रार्थना कीजिए कि राजनीति में आने की सोच जसोदाबेन के मन में कभी न आये और न ही किसी राजनीतिक दल को. क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो जो होगा वह न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के लोकतांत्रिक इतिहास की अद्भुत घटना होगी जिसका इतिहास लिखने वालों को संदर्भ ढूंढ़ने से भी नहीं मिलेगा..!

अखिलेश्वर पांडेय

प्रभात खबर, जमशेदपुर

apandey833@gmail.com

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