जहर से तो कोई नहीं बच पाता है

विश्वत सेन प्रभात खबर, रांची बचपन से सुनते आ रहे हैं कि शराब पीना बुरी बात है. यह आदमी को लील जाती है, क्योंकि यह नशा नहीं, जहर है. अमिताभ बच्चन का वह डायलॉग भी बड़ा मशहूर है- दारू पीने से लिवर सड़ जाता है. बचपन में यह सब सुन कर डर लगता था. सोचता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 27, 2014 11:30 PM
विश्वत सेन
प्रभात खबर, रांची
बचपन से सुनते आ रहे हैं कि शराब पीना बुरी बात है. यह आदमी को लील जाती है, क्योंकि यह नशा नहीं, जहर है. अमिताभ बच्चन का वह डायलॉग भी बड़ा मशहूर है- दारू पीने से लिवर सड़ जाता है. बचपन में यह सब सुन कर डर लगता था. सोचता था कि कितना खौफनाक है असमय दुनिया से चले जाना. छी.. ऐसी शराब को हाथ क्या लगाना.
समय बीता, तो उम्र भी बढ़ी. देखा कि जो शराब नहीं पीते वे भी गमगीन हैं. बीमार हैं. किसी से पूछने पर पता चला कि उसे शुगर है, तो किसी को हाई ब्लड प्रेशर तो किसी को लो ब्लड प्रेशर की शिकायत है. कोई हृदय रोग से ग्रस्त है, तो किसी के लिवर में समस्या है. मैंने पूछा कि क्या वे शराब पीते हैं.
जवाब आया नहीं, पूरे के पूरे सात्विक और शाकाहारी हैं. मेरे दिमाग में चकरी घूमने लगी. सोचा कि जो लोग शराब नहीं पीते, मांस नहीं खाते और दुनिया के सभी व्यसनों से दूर हैं, वे भी बीमार हैं और आंतरिक व बड़ी बीमारी से ग्रस्त हैं. कुछ और सघन वन में गया, तो पता चला कि नहीं, वे सात्विक और शाकाहारी तो हैं, वे शराब, मांस आदि का भी सेवन नहीं करते, लेकिन जीवन में जितने भी जहर है, उनका सेवन करते हैं. मैंने अपने बड़ों से पूछा कि यह जहर कैसा होता है. जवाब मिला कि जिंदगी, परिवार और समाज से जो जहर मिलता है, वह दिखायी नहीं देता और वह तरल, ठोस या गैस में नहीं होता, फिर भी लोग उसे पीते हैं.
मैंने सोचा कि यार, ये जहर तो उस जहर से भी अधिक बुरा है, जिसे सेवन करने के लिए बचपन से मना किया जाता था. जिस जहर के सेवन से लीवर या किडनी खराब होने, ब्लड प्रेशर और लो ब्लड प्रेशर की शिकायत होने की बात कही जाती थी, वह तो बिना पीनेवालों को भी हो रही है, तो फिर नहीं सेवन करने से फायदा क्या? कुछ समय और बीता, तो नेताओं के संसर्ग में आया. पता चला कि यहां तो लोग एक से एक जहरीले लोग हैं.
वे जहर पीते भी हैं और नहीं पीने का उपदेश भी देते हैं. समय और आगे बढ़ा तो और अधिक पता चला कि अरे नहीं भइया, ये सिर्फ जहर पीकर जहर नहीं पीने का ही उपदेश नहीं देते, बल्कि लोगों का लहू पीकर उससे दूर रहने की खास हिदायत देते हैं. मैंने कहा कि चलो भाई, ये तो नेता लोग हैं, कुछ भी कर सकते हैं. संतों की ओर रुख किया. सोचा, वहां कुछ नयी जानकारी मिल सकती है. वहां गया, तो राजनेताओं से भी अधिक विखंडित और क्षत-विक्षत सामाजिक विद्रूपता देखने को मिली.
वे राजनेताओं और समाज के लोगों को न केवल जहर न पीने के उपदेश देते मिले, बल्कि अमृत को भी जहर बताने का काम किया. फिर देखा कि वे लोग जहर और अमृत दोनों का बारी-बारी से सेवन कर रहे हैं. दोनों का सेवन करने के बाद एक विशेष प्रकार की चादर ओढ़ लेते और फिर उपदेश देना शुरू कर देते.

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