राज्य पर नये-नये दाग लगाते नेता

झारखंड अच्छे कारणों से कम ही चर्चा में रहा. बिहार से अलग होकर नया राज्य बनने के बाद, पहले भ्रष्टाचार करके झारखंड के नाम पर बट्टा लगाने वाले नेता अब हत्या जैसे मामलों में भी फंस रहे हैं. राज्य के पूर्व मंत्री और कोलेबिरा से चुनाव लड़ रहे एनोस एक्का एक शिक्षक की हत्या मामले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 28, 2014 11:53 PM

झारखंड अच्छे कारणों से कम ही चर्चा में रहा. बिहार से अलग होकर नया राज्य बनने के बाद, पहले भ्रष्टाचार करके झारखंड के नाम पर बट्टा लगाने वाले नेता अब हत्या जैसे मामलों में भी फंस रहे हैं. राज्य के पूर्व मंत्री और कोलेबिरा से चुनाव लड़ रहे एनोस एक्का एक शिक्षक की हत्या मामले में नामजद किये गये हैं.

पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है. एनोस पहले भी भ्रष्टाचार के मामले में जेल की हवा खा चुके हैं. हाल ही में, प्रवर्तन निदेशालय ने सिमडेगा के इस नेता की करीब सौ करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति जब्त की थी. एनोस एक्का झारखंड के पहले नेता हैं, जो एक साथ कई जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं. उनके कारनामों की फेहरिस्त लंबी है. सबसे पहले आय से अधिक संपत्ति मामले में आयकर विभाग के निशाने पर आये. इसके बाद इसी मामले में सीबीआइ ने उन्हें जेल की हवा खिलायी. कई सालों से अकूत संपत्ति जमा करने के मामले में अदालत का सामना कर रहे एनोस एक्का अब हत्या मामले में पुलिस के हत्थे चढ़ गये हैं.

याद रहे कि पिछले लोकसभा चुनाव में जब वह खूंटी से प्रत्याशी थे, तो उग्रवादी संगठन की मदद से दूसरे प्रत्याशियों को धमकाने का मामला उनके खिलाफ सामने आया था. उग्रवादी संगठन पीएलएफआइ के संरक्षक के तौर पर भी उनका नाम लिया जाता है. इस मामले की जांच भी सीआइडी कर रही है. एनोस पर अब शिक्षक मनोज कुमार की हत्या का आरोप लगा है.

पुलिस कहती है कि एनोस ने कुछ दिन पहले ही शिक्षक को जान से मरवा देने की धमकी दी थी. मरहूम शिक्षक ने खुद पुलिस को आवेदन देकर एनोस से अपनी जान को खतरा बताया था. उधर, एनोस एक्का का कहना है कि यह उनके खिलाफ एक बड़ी साजिश का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि मेरी लोकप्रियता से घबरा कर प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों के नेताओं ने मुङो गिरफ्तार करवाया है. मुङो न्यायपालिका पर भरोसा है और मुङो निश्चित रूप से न्याय मिलेगा. न्याय जब मिलेगा, तब देखा जायेगा. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि हमारे राजनेता जिस तरह से अपने कुकृत्यों के चलते सुर्खियां बटोर रहे हैं, उस पर कैसे लगाम लगेगी. देखना है कि इस बार झारखंड की जनता चुनाव में ऐसे नेताओं का सफाया करती है या नहीं.

Next Article

Exit mobile version