हंसते-हंसते कट जायें रस्ते..

हंसना. जोर-जोर से हंसना. यह योग भी है और कई रोगों को भगाने की अचूक दवा भी. आप किसी मेट्रो सिटी में हों या छोटे कस्बे में, जॉगिंग पार्क में एक ऐसा झुंड जरूर मिल जाता है जो एक साथ हाथ ऊपर करके हंस रहे होते हैं. उन्हें कोई हंसाता नहीं, वे खुद हंसते हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 28, 2014 11:55 PM

हंसना. जोर-जोर से हंसना. यह योग भी है और कई रोगों को भगाने की अचूक दवा भी. आप किसी मेट्रो सिटी में हों या छोटे कस्बे में, जॉगिंग पार्क में एक ऐसा झुंड जरूर मिल जाता है जो एक साथ हाथ ऊपर करके हंस रहे होते हैं.

उन्हें कोई हंसाता नहीं, वे खुद हंसते हैं. हंसते-हंसते थक जाते हैं. फिर सारे बूढ़े-बुजुर्ग चहलकदमी करते हुए अपने-अपने घरों को चले जाते हैं. दरअसल, आज के व्यस्त जीवन में इन बुजुर्गो की मुस्कान की फिक्र किसी को नहीं होती. इसलिए ये लोग पार्क में एक-दूसरे को हंसते देख कर हंसते हैं और हर कोई एक-दूसरे को हंसाता है. कई बार किसी की गलती पर भी सब ठठा कर हंसते हैं.

कई बार मुस्कुरा कर रह जाते हैं, जैसे पिछले दिनों संसद में सोनिया गांधी मुस्कुरायी थीं. लोकसभा में सीबीआइ अध्यक्ष की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव से जुड़े बिल पर बहस चल रही थी. कांग्रेस का कहना था कि नियुक्ति में नेता विपक्ष की भूमिका को देखते हुए उसे यह पद मिलना चाहिए. केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने इस पर कहा कि कई ऐसे मौके आये जब कांग्रेस सत्ता में थी और सदन में नेता विपक्ष कोई नहीं था. वह प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू हों, इंदिरा गांधी हों या राहुल गांधी. दरअसल, वेंकैया राजीव गांधी कहना चाहते थे, लेकिन मुंह से राहुल निकल गया. बाद में उन्होंने भूल सुधारी और कहा कि राहुल प्रधानमंत्री नहीं बन पाये. सदन में मौजूद सोनिया गांधी के चेहरे पर मुस्कुराहट तैर गयी. यह देश की बात थी, जहां कल तक सत्ता में रही कांग्रेस अध्यक्ष को आज सत्ता में बैठी भाजपा के एक नेता ने मुस्कुराने का मौका दिया. दूसरी तरफ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेपाल में दक्षेस सम्मेलन में भाग ले रहे थे. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी मंच पर मौजूद थे.

लेकिन, दोनों के बीच हाय-हैलो तक नहीं हुई. एक-दूसरे की तरफ देखना भी गवारा न हुआ. भारत ने सम्मेलन के पहले दिन दक्षेस के आठ सदस्य देशों के बीच कई महत्वपूर्ण समझौतों पर जोर दिया, लेकिन पाकिस्तान ने सब में ‘अड़ंगा’ लगा दिया. यहां तक कि दुनिया की सबसे बड़ी समस्या आतंकवाद के मुद्दे को उन्होंने छुआ तक नहीं. एक मौका ऐसा आया, जब लगा कि नेपाल में चल रहा 18वां दक्षेस शिखर सम्मेलन विफल हो जायेगा. लेकिन, नेपाल के प्रधानमंत्री और सार्क के वर्तमान अध्यक्ष सुशील कुमार कोइराला की पहल पर समापन समारोह के दौरान मोदी और शरीफ ने हाथ मिलाये. तनाव थोड़ा कम हुआ.

सभी आठ देशों के नेता और प्रतिनिधि काठमांडू पहुंचे और सम्मेलन के समापन समारोह से पहले मोदी ने शरीफ की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया और कुछ ऐसा कहा कि नवाज खिलखिला उठे. वेंकैया और मोदी ने अपने विरोधियों को हंसने के मौके दिये. उम्मीद की जानी चाहिए कि देश की जनता और पड़ोसी देशों को भी यह सरकार मुस्कान बांटेगी, ताकि हंसते-हंसते तमाम दुश्वारियां खत्म हो जायें.

मिथिलेश झा

प्रभात खबर, रांची

mithilesh.jha@prabhatkhabar.in

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