अब रिपोर्ट तय समय में लागू हो

गांधी मैदान हादसे की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक कर राज्य सरकार ने शासन में पारदर्शिता का संदेश देने की कोशिश तो की है, लेकिन असली काम अभी बाकी है. गृह सचिव आमिर सुबहानी और एडीजी (मुख्यालय) गुप्तेश्वर पांडेय की संयुक्त जांच रिपोर्ट में हादसे के लिए पुलिस, प्रशासन, ट्रैफिक और नगर निगम के जिन अफसरों को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 1, 2014 12:29 AM

गांधी मैदान हादसे की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक कर राज्य सरकार ने शासन में पारदर्शिता का संदेश देने की कोशिश तो की है, लेकिन असली काम अभी बाकी है. गृह सचिव आमिर सुबहानी और एडीजी (मुख्यालय) गुप्तेश्वर पांडेय की संयुक्त जांच रिपोर्ट में हादसे के लिए पुलिस, प्रशासन, ट्रैफिक और नगर निगम के जिन अफसरों को जिम्मेवार ठहराया गया है, उनके खिलाफ एक समय सीमा में कार्रवाई की जानी बाकी है.

तीन अक्तूबर को रावण दहन के तुरंत बाद हुए इस हादसे की मुख्य वजह अफसरों की लापरवाही, भीड़ प्रबंधन का अभाव, बदइंतजामी और अफवाह के कारण मची भगदड़ को माना गया है. हादसे के बाद पीड़ित परिजनों और प्रत्यक्षदर्शियों ने भी इसी तरह के आरोप लगाये थे.

जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में एक तरह से उन आरोपों पर मुहर लगायी है. रिपोर्ट आने में करीब दो माह का समय लगा. इसको सार्वजनिक किया जाना इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि पिछले तीन-चार वर्षो में पुलिस फायरिंग, हादसे आदि की जांच रिपोर्ट न तो सार्वजनिक की गयी और न ही उनकी सिफारिशों पर की गयी कार्रवाई के बारे में किसी को पता चला. नवंबर, 2012 में छठ पर्व के दौरान हुए हादसे में कई लोगों की मौत के मामले की भी उच्चस्तरीय जांच हुई, लेकिन रिपोर्ट आधिकारिक रूप से सार्वजनिक नहीं की गयी. तब भी अफवाह और भीड़ प्रबंधन में नाकामी को हादसे की मुख्य वजह माना गया था.

लेकिन, इन पर कहीं कोई चर्चा तक नहीं हुई. पिछली गलतियों से सीख नहीं लेने का सीधा अर्थ है, भविष्य में हादसे को निमंत्रण देना. इसलिए जांच रिपोर्ट की सिफारिशों को समय सीमा के भीतर बगैर राग-द्वेष के लागू किया जाये. गांधी मैदान हादसे में जिन मासूम बच्चों, महिलाओं और पुरुषों की जान गयी, उन्हें वापस तो नहीं लाया जा सकता है, लेकिन लापरवाह अधिकारियों, कर्मचारियों को दंडित करना प्रशासनिक महकमे के लिए नजीर अवश्य बनेगा. साथ ही उन लोगों के लिए चेतावनी भी होगी, जो बड़ी जिम्मेवारियों को गंभीरता से नहीं लेते हैं. भीड़ प्रबंधन के लिए सुझाये गये उपायों को भी लागू करने का सबको इंतजार है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो. इस हादसे को सबक के रूप में लेने की जरूरत है,

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