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लोग डर से नहीं बताते अपनी बीमारी

‘परदेश जाके परदेसिया, ना लाना एड्स अपनी दुअरिया.’ ऑटो के पीछे लगे पोस्टर में लिखित इस नारे का मर्म समझना जरूरी है. भारत विकासशील देश है. विकास के मामले में क्षेत्रीय असमानता की वजह से, रोजगार की तलाश में लोग अपने घर से दूर विकसित राज्यों व शहरों में चले जाते हैं. परिवार से दूरी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 1, 2014 12:32 AM

‘परदेश जाके परदेसिया, ना लाना एड्स अपनी दुअरिया.’ ऑटो के पीछे लगे पोस्टर में लिखित इस नारे का मर्म समझना जरूरी है. भारत विकासशील देश है. विकास के मामले में क्षेत्रीय असमानता की वजह से, रोजगार की तलाश में लोग अपने घर से दूर विकसित राज्यों व शहरों में चले जाते हैं.

परिवार से दूरी के चलते यौन इच्छा अतृप्त रहती है. ऐसे में यौन इच्छा की प्रबलता गलत राह पर ले जाती है. ऐसे में, ऊपर बताये गये नारे के सहारे भारतीय महिलाएं सुदूर प्रदेशों में जाकर मजदूरी करने वाले अपने पतियों को बीमारी से बचने का संदेश देती हैं. बेशक, एड्स फैलने के कई कारण हैं, लेकिन असुरिक्षत यौन संबंध एक बड़ा कारण साबित हुआ है.

आज भारत के ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सुविधाओं की मौजूदा स्थिति किसी से छिपी नहीं है. बहुत सारे लोगों को एड्स के बारे में सही जानकारी नहीं है. जिसे जानकारी है भी, तो वे बताने से कतराते हैं कि कहीं इसकी भनक लोगों को लग जाये, तो समाज में उन्हें कलंकित समझा जायेगा. एड्स के फैलाव के लिए कहीं न कहीं सामाजिक छुआछूत भी जिम्मेवार है. इस कारण आज एड्स पीड़ित व्यक्ति बिना बीमारी बताये अपने साथ-साथ दूसरों की जिंदगी दावं पर लगा देता है.

तेजी से फैलती इस बीमारी पर नियंत्रण के लिए देश की सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थाए सार्थक पहल कर रही है. अब जरूरत है कि लोग जागरूक हों. इस भयावह स्थिति से निपटने का एक महत्वपूर्ण पक्ष सामाजिक बदलाव लाना भी है. आज सदर अस्पतालों में आवश्यक दवाओं और जांच यंत्रों की कमी है. इस कारण निम्न आय वर्ग के लोग ज्यादा खर्च होने के डर से निजी अस्पतालों में जाने से कतराते हैं. एड्स से बचने का एकमात्र उपाय जागरूकता है.

सुधीर कुमार, गोड्डा

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