पारा शिक्षकों की किसी को फिक्र नहीं
हर रोज की तरह एक सुबह मैं अखबार पढ़ रहा था. विधानसभा चुनाव की बहुत सारी खबरें छपी हुई थीं. अचानक मैंने एक खबर पढ़ी, सारवां में एक पारा शिक्षक का देहांत हो गया, दूसरी ओर एक खबर पढ़ी कि मारगोमुंडा में एक पारा शिक्षक सड़क दुर्घटना में मारा गया. आगे पढ़ा कि पारा शिक्षक […]
हर रोज की तरह एक सुबह मैं अखबार पढ़ रहा था. विधानसभा चुनाव की बहुत सारी खबरें छपी हुई थीं. अचानक मैंने एक खबर पढ़ी, सारवां में एक पारा शिक्षक का देहांत हो गया, दूसरी ओर एक खबर पढ़ी कि मारगोमुंडा में एक पारा शिक्षक सड़क दुर्घटना में मारा गया. आगे पढ़ा कि पारा शिक्षक संघ ने शोकाकुल परिवार की मदद के लिए संघ के प्रदेश प्रतिनिधि से अपील की और स्थानीय बीइइओ ने परिवार को सांत्वना दी गयी.
लेकिन विडंबना यह थी कि मृतक के परिवार की मदद के लिए विभाग के पास कोई फंड नहीं है. मैं सोच में पड़ गया कि जो पारा शिक्षक सुबह से शाम तक शिक्षा का अलख जगाने में लगा देते हैं, उनके न रहने पर परिवार के भरण-पोषण के लिए शिक्षा विभाग के पास कोई योजना नहीं है. चुनाव के समय हर पार्टी उनके लिए वादे तो करती है, लेकिन ये वादे कभी पूरे नहीं होते.
बृज किशोर मिश्र, ई-मेल से