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स्वास्थ्य शिविरों के नियम तय हों

अपनी बीमारी के इलाज के लिए निजी अस्पताल की चौखट लांघ पाना सबके लिए संभव नहीं होता. इसलिए कुछ समाजसेवी संस्थाएं समाज के जरूरतमंद लोगों के लिए नि:शुल्क आरोग्य शिविरों का आयोजन करती हैं. इन शिविरों में कुछ बीमारियों की नि:शुल्क शल्य चिकित्सा व सलाह दी जाती है. कुछ सामाजिक संस्थाएं सरकार से अपनी संस्था […]

अपनी बीमारी के इलाज के लिए निजी अस्पताल की चौखट लांघ पाना सबके लिए संभव नहीं होता. इसलिए कुछ समाजसेवी संस्थाएं समाज के जरूरतमंद लोगों के लिए नि:शुल्क आरोग्य शिविरों का आयोजन करती हैं. इन शिविरों में कुछ बीमारियों की नि:शुल्क शल्य चिकित्सा व सलाह दी जाती है.
कुछ सामाजिक संस्थाएं सरकार से अपनी संस्था के लिए अनुदान हेतु मेडिकल शिविरों का आयोजन करती हैं, तो कुछ सच में मरीजों की सेवा करने हेतु शिविर का आयोजन करती हैं.
लेकिन कई बार ऐसा होता है कि ऐसी संस्थाओं द्वारा आयोजित शिविरों में मरीज का मर्ज ठीक होने के बदले बढ़ जाता है. मेडिकल क्षेत्र में लापरवाही की ऐसी घटनाएं गंभीर हैं. केंद्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग को ऐसी शिविरों के लिए सख्त नियम बनाना जरूरी हो गया है. बड़ी संख्या में शल्य चिकित्सा करने के लिए अच्छे डॉक्टर, नर्से, दवाइयां और अन्य उपयुक्त साधन-सामग्री होना इसकी प्राथमिक जरूरत होती है. कई बार ऐसे शिविरों में प्रख्यात डॉक्टर द्वारा इलाज मिलेगा, ऐसा प्रचार किया जाता है.
लेकिन ऐन वक्त पर अगर वह डॉक्टर नहीं आ सके, तो किसी अन्य डॉक्टर को पकड़ कर शिविर का आयोजन किया जाता है. यह बात तो मरीज को खतरे में डालने के बराबर हो जाती है. इसलिए सरकार का मेडिकल शिविरों के बारे में सतर्क रहना जरूरी है. अगर यह होता है तो ही ऐसे शिविरों पर जनता विश्वास कर सकती है. शल्य चिकित्सा चाहे वह बड़ी हो या छोटी, उसे मेडिकल नियमों के अनुसार ही आगे बढ़ना चाहिए, वरना जान को खतरा हो सकता है. नि:शुल्क सेवा के नाम पर किसी को कुछ भी करने की छूट नहीं होनी चाहिए.
जयेश राणो, मुंबई

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