ऊर्जा कूटनीति पर निकल पड़े पुतिन

पुतिन ने कहा है कि हम भारत में एटमी बिजलीघर की 25 यूनिटें लगा सकते हैं. तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत पाइपलाइन (तापी) में रूस की सरकारी कंपनी गाजप्रोम के जुड़ जाने से पुतिन अपनी ऊर्जा कूटनीति इस इलाके में प्रारंभ करेंगे. भगवद् गीता का पहला रूसी अनुवाद 226 साल पहले, साम्राज्ञी कैथरिन द ग्रेट के शासनकाल में एक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 11, 2014 12:28 AM

पुतिन ने कहा है कि हम भारत में एटमी बिजलीघर की 25 यूनिटें लगा सकते हैं. तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत पाइपलाइन (तापी) में रूस की सरकारी कंपनी गाजप्रोम के जुड़ जाने से पुतिन अपनी ऊर्जा कूटनीति इस इलाके में प्रारंभ करेंगे.

भगवद् गीता का पहला रूसी अनुवाद 226 साल पहले, साम्राज्ञी कैथरिन द ग्रेट के शासनकाल में एक आदेश के बाद किया गया था. 1788 में भगवद् गीता के रूसी संस्करण के प्रकाशन को यदि हमारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज स्मरण कर लेतीं, तो शायद उन्हें यह कहने की आवश्यकता नहीं पड़ती कि गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित कर देना चाहिए. दुनिया की अस्सी भाषाओं में अनुदित गीता की कोई आठ करोड़ प्रतियों के छापे जाने का अनोखा कीर्तिमान है. लेकिन, रूस के ही तोम्स्क प्रांत में तीन साल पहले गीता को प्रतिबंधित कर दिया गया था. सरकार ने तब माना था कि इससे ‘धार्मिक अतिवाद’ को बढ़ावा मिल रहा है. दिसंबर 2011 के मध्य में प्रांतीय सरकार के इस फैसले को रूस की अदालत में चुनौती दी गयी. भारतीय संसद में इस पर चिंता व्यक्त की गयी थी और तत्कालीन विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने काफी कड़े शब्दों में गीता पर प्रतिबंध की निंदा की थी. मार्च 2012 में तोम्स्क की अदालत ने गीता पर प्रतिबंध को निरस्त कर दिया.

लेकिन, गीता का सूत्र वाक्य, ‘क्या लेकर आये थे, और क्या लेकर जाओगे’ का कूटनीति में कोई स्थान नहीं है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन बहुत कुछ लेकर नयी दिल्ली आये हैं, और जो कुछ यहां से लेकर जायेंगे, उसे हम एक शासनाध्यक्ष का ‘बिजनेस ट्रिप’ ही कहेंगे. पुतिन ने दो दिन पहले मास्को में जारी एक बयान में कहा भी कि पिछले साल भारत-रूस के बीच 10 अरब डॉलर का व्यापार हुआ, जो उससे पहले के साल के मुकाबले एक अरब डॉलर कम रहा. अब हमें इस परिस्थिति को बदलना होगा. पुतिन ने कहा, ‘हमारा मुख्य जोर टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में सहयोग और विकास पर है, जिसमें एटमी ऊर्जा, सैन्य तकनीकी सहयोग, अंतरिक्ष अनुसंधान, विमान, मोटरकार, औषधि, रसायन, हीरा, सूचना उद्योगों को विस्तार देना है.’

रूस के राष्ट्रपति के रूप में व्लादिमीर पुतिन भारत की यात्र पांच बार कर चुके हैं. छठी भारत यात्र से पहले पुतिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तीसरी बार मिल रहे हैं. सबसे पहले पुतिन प्रधानमंत्री मोदी से जुलाई 2014 में ब्राजील के ब्रिक्स सम्मेलन में मिले, फिर नवंबर में ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन में जी-20 की बैठक के दौरान मिले थे. पता नहीं, ऐसा क्यों है कि ब्राजीलिया से ब्रिसबेन तक पुतिन और मोदी की मुलाकातों पर उतने ढोल नगाड़े नहीं बजे. जबकि ओबामा-मोदी की मुलाकात को मीडिया, राम-भरत मिलाप से भी अधिक ‘हाइप’ पैदा कर चुका है. इस मंजर को आगे देखना है, तो 26 जनवरी, 2015 का इंतजार कीजिए, जब बराक ओबामा गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि होंगे.

यह बराक ओबामा और उनके यूरोपीय मित्रों की ब्यूह रचना है कि यूक्रेन के बहाने रूस को लगातार अलग-थलग करने की कोशिश की जाती रही. रूसी वित्त मंत्री ने माना है कि प्रतिबंध से उनके देश को सालाना 40 अरब डॉलर का घाटा हो रहा है. ऐसे में भारत के लिए गुटनिरपेक्ष रहना और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को बनाये रखना एक बड़ी चुनौती है. ‘मनमोहनॉमिक्स’ से ‘मोदीनॉमिक्स’ की ओर स्थानांतरित होती हमारी अर्थव्यवस्था अमेरिका, जापान और यूरोपीय संघ की ओर एकतरफा न चल पड़े, इसके खतरे मंडराते रहेंगे.

पुतिन ऊर्जा के मामले में एशिया को एक बड़े बाजार के रूप में देख रहे हैं. उनके हालिया बयानों से लगता है कि गैस, तेल और नाभिकीय ऊर्जा विपणन के मामले में उन्हें यूरोप से अधिक भरोसेमंद और स्थिर एशिया लगने लगा है. रूस, पिछले कुछ वर्षो तक भारत का नंबर वन हथियार सप्लायर देश था, उसकी जगह को अमेरिका ने हथिया लिया. रूस को हथियार निर्यात के क्षेत्र में इजराइल से भी प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है. शायद इसीलिए रूस का रुख पाकिस्तान की की ओर हो गया. रूस ने पाकिस्तान को हथियार बिक्री पर प्रतिबंध आयद किया था, जिसे अब हटा लिया है. इससे इसलामाबाद को एमआइ-35 मल्टीरोल हेलीकॉप्टर की बिक्री आसान हो गयी. कुछ अरसा पहले ही रूसी रक्षामंत्री सर्गे शोइगू इसलामाबाद पधारे और पाकिस्तान से ऐतिहासिक रक्षा समझौता कर गये हैं. रूस-पाक जिस रफ्तार में एक-दूसरे के करीब आ रहे हैं, उसे नजरअंदाज करना भारत के लिए समझदारी भरा कदम नहीं होगा. 2011 में पीटर्सबर्ग में शांघाई कॉरपोरेशन की बैठक में रूस ने पाकिस्तान को पूर्ण सदस्यता दिये जाने का प्रस्ताव रखा था. नयी दिल्ली को अब तक सदस्यता की थाली नहीं परोसनेवाला मास्को अब कह रहा है कि भारत को भी शांघाई कॉरपोरेशन का सदस्य बन जाना चाहिए, हमने बाधाएं दूर कर दी हैं. पाक एयरलाइंस ‘पीआइए’ को रूस सुखोई कमर्शियल विमान लीज पर दे चुका है. थार और मुजफ्फराबाद के गुड्डू पावर प्लांट को रूस अपग्रेड कर रहा है. वह पाकिस्तान के स्टील मिलों का उत्पादन 10 लाख टन से बढ़ा कर 30 लाख टन करने के लिए तकनीकी सहयोग दे रहा है. रूस ने पाक को तीन साल पहले से ही मिल्ट्री हार्डवेयर देना शुरू कर दिया था.

अफगानिस्तान में नाटो सैनिकों के हटने के बाद 2015 में रूस, चीन और पाकिस्तान की धुरी कितनी सशक्त होगी, और इसमें भारत कितना फिट बैठेगा, इसे अभी से ध्यान में रखना जरूरी है. 11 मई, 2011 को पाक राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी का क्रेमलिन में भव्य स्वागत किया गया था. उस समय के रूसी राष्ट्रपति मेदेवदेव ने तत्कालीन पाक राष्ट्रपति जरदारी से यह बयान साझा किया कि ऊर्जा, व्यापार, निवेश और आतंकवाद उन्मूलन में हम आपसी सहयोग करेंगे. रूस पाकिस्तान में परमाणु बिजलीघर लगाने की परियोजना पर काम कर रहा है.

भारत में इस समय 17 परमाणु बिजलीघर चालू हैं. 2030 तक 25 से 30 परमाणु बिजलीघरों को बनाने का संकल्प यूपीए-2 सरकार कर चुकी थी. इनमें से चार तमिलनाडू में और एक परमाणु बिजलीघर पश्चिम बंगाल में लगाने के लिए मनमोहन सरकार ने सहमति दे रखी थी. कूडनकूलम परमाणु बिजलीघरों की यूनिट 3 और 4 के लिए समझौते में देरी के कारण भी रूसी सप्लायर तनाव में रहे हैं. अप्रैल 2014 में कूडनकूलम तीसरे और चौथे यूनिट के लिए मुंबई में हस्ताक्षर किये गये. 2011 तक रूस, भारत में दस परमाणु बिजलीघर लगाने की इच्छा व्यक्त कर चुका था. अब पुतिन ने कहा है कि हम भारत में एटमी बिजलीघर की 25 यूनिटें लगा सकते हैं. तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत पाइपलाइन (तापी) में रूस की सरकारी कंपनी गाजप्रोम के जुड़ जाने से पुतिन अपनी ऊर्जा कूटनीति इस इलाके में प्रारंभ करेंगे. इसलिए भारत को एक बार फिर सोचना चाहिए कि रूस को लेकर उसकी कूटनीतिक दिशा क्या हो!

पुष्परंजन

संपादक, ईयू-एशिया न्यूज

pushpr1@rediffmail.com

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