आतंकवादियों पर तकनीकी लगाम
दुनिया में अपना दबदबा कायम रखने के लिए आतंकी दहशत फैलाने के कोई भी तरीका अपनाने से बाज नहीं आ रहे हैं. सोशल मीडिया भी इन्हीं तरीकों का एक हिस्सा है. आज के जमाने में सोशल मीडिया जनसंपर्क का एक सशक्त साधन बन गया है. इसलिए आतंकी अपने मंसूबे को अंजाम देने के लिए इसका […]
दुनिया में अपना दबदबा कायम रखने के लिए आतंकी दहशत फैलाने के कोई भी तरीका अपनाने से बाज नहीं आ रहे हैं. सोशल मीडिया भी इन्हीं तरीकों का एक हिस्सा है. आज के जमाने में सोशल मीडिया जनसंपर्क का एक सशक्त साधन बन गया है. इसलिए आतंकी अपने मंसूबे को अंजाम देने के लिए इसका जबरदस्त तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं.
पाकिस्तानी आतंकवादी और हिंदुस्तान का शत्रु, हाफिज सईद का ट्विटर खाता ट्विटर ने फिर से बंद किया है. एक बार खाता बंद किये जाने के बाद सईद ने फिर से नया खाता खोला था. लोगों को भड़काने के लिए आतंकियों की ओर से फर्जी नामों से सोशल साइटों पर खाते खोले जा रहे हैं. पकड़ में आने के बाद सोशल साइटों के संचालक आतंकियों के खातों को बंद करने का काम करते हैं. हाफिज सईद का मामला दोबारा संज्ञान में आने के बाद ट्विटर ने यह कदम उठाया है. हालांकि ट्विटर का यह कदम सराहनीय है, लेकिन उसे इस पर कायम रहना पड़ेगा. सिर्फ ट्विटर को नहीं, बल्कि दुनिया में जितनी भी सोशल साइटें संचालित की जा रही हैं, उन सभी के मालिकान और संचालकों को आतंकी गतिविधियों में शामिल रहनेवालों के खातों को बंद कर देना चाहिए.
आतंकियों के मकसद और मंसूबों को नाकाम करने के लिए देशद्रोहियों पर तकनीकी पाबंदी लगाना जरूरी हो गया है. आग जलाने के लिए एक चिंगारी काफी रहती है. आज ट्विटर ने हाफिज सईद के खाते को बंद करने का साहसी कदम उठाया है, तो कल फेसबुक और अन्य साइटों को भी यह कदम उठाना चाहिए. दूसरी बात यह भी है कि अकेले सोशल साइटों को ही नहीं, बल्कि सरकारी स्तर पर भी कंपनियों को इस तरह के आदेश मिलने चाहिए.
जयेश राणो, भांडुप, मुंबई