निलंबन पर यूं ही नहीं उठ रहे सवाल
पटना नगर निगम के आयुक्त कुलदीप नारायण के निलंबन को लेकर कई सवाल खड़े हुए हैं. एक तरफ आइएएस अफसरों का संघ नाराज है, तो दूसरी तरफ पटना हाइकोर्ट के संभावित सवालों को लेकर सरकार परेशान दिख रही है. 2005 बैच के इस आइएएस अधिकारी पर कामकाज में लापरवाही बरतने और जिम्मेवारियों को ठीक तरीके […]
पटना नगर निगम के आयुक्त कुलदीप नारायण के निलंबन को लेकर कई सवाल खड़े हुए हैं. एक तरफ आइएएस अफसरों का संघ नाराज है, तो दूसरी तरफ पटना हाइकोर्ट के संभावित सवालों को लेकर सरकार परेशान दिख रही है. 2005 बैच के इस आइएएस अधिकारी पर कामकाज में लापरवाही बरतने और जिम्मेवारियों को ठीक तरीके से निर्वहन नहीं करने के आरोप हैं.
कुलदीप नारायण को 19 माह पहले पटना नगर निगम का आयुक्त बनाया गया था. निगम के मेयर अफजल इमाम और उनके खेमे के वार्ड पार्षदों से उनके संबंध तल्ख थे. कुलदीप नारायण ने निगम आयुक्त के पद पर रहते हुए पटना में अवैध निर्माण के खिलाफ मुहिम चलायी थी और इसी क्रम में कई रसूखदार लोगों द्वारा निर्मित निर्माण भी कार्रवाई की जद में आये थे. एक बड़ी आबादी के बीच ऐसी कार्रवाई की सराहना भी हुई.
लेकिन, मेयर-आयुक्त के विवाद का दूसरा पहलू यह भी है कि योजनाओं के लंबित रहने से नागरिकों की परेशानी बढ़ती गयी. निगम में योजनाओं पर चर्चा और फैसले की जगह आरोप-प्रत्यारोप और गुटीय राजनीति हावी हो गये थे. सरकार के सामने ताजा चुनौती कुलदीप नारायण के निलंबन को सही ठहराने के लिए हाइकोर्ट के समक्ष तर्क उपस्थापित करना है, क्योंकि हाइकोर्ट ने पूर्व के अपने आदेश में श्री नारायण की पीठ थपथपायी थी और उनका तबादला नहीं करने को कहा था. अब तक भ्रष्टाचार या भ्रष्ट तरीके से धन अर्जित करने के आरोपों में अधिकारियों (आइएएस भी) को निलंबित किये जाने के कई उदाहरण हैं.
लेकिन, कुलदीप नारायण का निलंबन इस मायने में खास है कि उनके खिलाफ ‘कठोर कार्रवाई’ (निलंबन) का आधार जिम्मेवारियों के निर्वहन और कामकाज में लापरवाही है. ऐसे में यह प्रशासनिक महकमे के लिए नजीर हो सकता है. लेकिन, इसके पहले सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि क्या भविष्य में विभागों या निदेशालयों के कामकाज की समीक्षा का आधार यह मापदंड भी होगा कि किस अफसर ने किस हद तक अपनी जिम्मेवारियों का निर्वहन किया और यदि नहीं किया तो उनके खिलाफ भी कुलदीप नारायण की तरह ‘कठोर कार्रवाई’ होगी? यदि ऐसा नहीं हुआ, तो फिर इस निलंबन पर सवाल उठते रहेंगे.