हरियाणा के रोहतक की बहादुर बहनों पूजा व आरती को अब इंसाफ के लिए गिड़गिड़ाना पड़ रहा है. दोनों ने शनिवार को अखिल भारतीय जनवादी महिला संघ (एडवा) की महासचिव जगमती सांगवान के साथ एक प्रेस कांफ्रेंस कर सच का साथ देने की अपील की. हरियाणा सरकार इन बहनों का सम्मान स्थगित कर जांच के आदेश पहले ही दे चुकी है.
अब पुरस्कार पर अंतिम फैसला जांच रिपोर्ट आने के बाद ही होगा. जिस बस में छेड़छाड़ की घटना हुई थी, उसके ड्राइवर और कंडक्टर का निलंबन भी जांच पूरी होने तक वापस ले लिया गया है. लड़कियों के गांव की पांच महिलाओं ने कोर्ट में हलफनामा दिया कि मामला छेड़छाड़ का नहीं, सीट की लड़ाई का था. इन खबरों को पढ़ कर मुङो गुस्सा भी बहुत आ रहा है और हरियाणा सरकार पर हंसी भी. क्या कोई सरकार लोगों के कहे-सुने से चलती है. सच का पता लगाने का उसके पास कोई अपना तंत्र नहीं है क्या? सरकार को फैसला सोच-समझ कर तथ्यों की जांच के बाद लेना था.
और जब फैसला ले लिया तो उस पर डटे रहना चाहिए था. कुछ देर के लिए यह मान भी लें कि सम्मान का निर्णय गलत था, तब भी यह निर्णय कम-से-कम देश की लाखों लड़कियों को ताकत तो दे रहा था. अब तो उल्टा उन लड़कियों को ‘गुंडी’ साबित करने की कोशिश की जा रही है. उन्हें आदतन मार-पीट करनेवाला बताया जा रहा है. इससे तो देश की सभी लड़कियां हतोत्साहित हो जायेंगी. अब कोई लड़की किसी लड़के के खिलाफ आवाज नहीं उठायेंगी. उन्हें डर रहेगा कि कल समाज उल्टा उन पर भी कोई तोहमत न लगा दे. हो सकता है कि लोग यहां तक कह दें कि लड़कियों ने ही लड़कों को छेड़ा, इसलिए दोनों में झगड़ा हुआ.
आज मैं खुद को उन लड़कियों की जगह रख कर देखती हूं, तो दुखी हो जाती हूं. उन बहनों ने तो सरकार के पास जा कर नहीं कहा था कि हमने लड़कों को पीटा है, आप हमें सम्मानित करो. सरकार ने उनके मान-सम्मान को ठेस पहुंचायी है. अब अगर जांच में यह आ भी गया कि गलती लड़कों की थी. छेड़खानी ही हुई थी. यह सुन सरकार भी उन्हें दोबारा इनाम राशि देने की घोषणा कर देगी, तो क्या वह लड़कियों का सम्मान वापस दिला सकेगी? क्या लड़-झगड़ कर, खुद को सही साबित करने की लड़ाई लड़ने के बाद मिले इस सम्मान का कोई उपयोग रह जायेगा? अब अगर सरकार एक-एक लाख रुपये भी देती है, तो भी वो लड़कियां सिर उठा कर नहीं चल सकेंगी. अब अगर कोई उन्हें छेड़ेगा, तो वे उसे पीट नहीं सकेंगी, क्योंकि उन पर उंगली उठायी जा चुकी है. हरियाणा सरकार ने न केवल उन दो बहनों को अपमान किया है, बल्कि सभी लड़कियों को अपमान किया है, जो राह चलते छेड़खानी का शिकार होने वाले लड़कों का विरोध करती हैं.
दक्षा वैदकर
प्रभात खबर, पटना
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