आतंकी हमलों को लेकर बेफिक्री

पेशावर में आतंकियों ने जिस तरह आर्मी स्कूल पर हमला कर बच्चों की हत्या की, उसका असर न सिर्फ पाकिस्तान पर पड़ा, बल्कि भारत समेत दुनिया अवाक् रह गयी. अब तो भारत के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी शिक्षण संस्थानों को सतर्क रहने के लिए कहा है. कुख्यात आतंकी हाफिज सईद ने भारत पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 19, 2014 12:56 AM

पेशावर में आतंकियों ने जिस तरह आर्मी स्कूल पर हमला कर बच्चों की हत्या की, उसका असर न सिर्फ पाकिस्तान पर पड़ा, बल्कि भारत समेत दुनिया अवाक् रह गयी. अब तो भारत के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी शिक्षण संस्थानों को सतर्क रहने के लिए कहा है. कुख्यात आतंकी हाफिज सईद ने भारत पर हमले की धमकी दी है.

यह स्थान कहीं भी हो सकता है. इस घटना के बाद झारखंड में भी बच्चे, अभिभावक व स्कूल प्रबंधन भयभीत हैं. स्कूल ही क्यों, किसी भी सार्वजनिक स्थान पर आतंकी हमला कर सकते हैं. इससे निबटने के लिए झारखंड कितना तैयार है? झारखंड पुलिस सामान्य कानून-व्यवस्था के लिए तो प्रशिक्षित है, चोर-अपराधी को पकड़ने में सक्षम है, लेकिन अगर अत्याधुनिक हथियारों से लैस आतंकियों ने हमला किया तो इसके लिए पुलिस तैयार नहीं है. चिंता की बात इसलिए अधिक है क्योंकि पिछले दिनों झारखंड में इंडियन मुजाहिदीन (आइएम) की काफी गतिविधियां सामने आयी थीं.

कई संदिग्ध पकड़े गये थे. तय किया गया था कि झारखंड में आतंकवाद विरोधी दस्ता (एटीएस) गठित किया जायेगा. लेकिन अभी तक यह काम नहीं हो पाया है. झारखंड से जिस तरीके से आतंकियों के तार जुड़े हुए हैं, उसके बाद ऐसे प्रशिक्षित सुरक्षाकर्मियों की जरूरत महसूस की जा रही है.

अब समय आ गया है जब सरकार इसे मूर्त रूप दे. बच्चे और उनके अभिभावक भयभीत हैं, लेकिन वे कुछ कर भी नहीं सकते. स्कूलों की अपनी सीमाएं हैं. स्कूलों में जो गार्ड तैनात रहते हैं, उनके पास एक छड़ी भी नहीं होती. अगर कोई जबरन उनके स्कूल में घुसने लगे तो वे लाचार हो जाते हैं. ऐसे गार्डस को भी प्रशिक्षित करना होगा कि कैसे और किनको सूचना देनी है. जहां तक शहर की बात है, कई बार योजना बनी कि पूरे शहर को सीसीटीवी के दायरे में लाया जायेगा. यह काम भी नहीं हुआ. बड़े-बड़े संस्थानों में भी सीसीटीवी कैमरा ढंग से काम नहीं करता. पेशावर की घटना से सबक लेना होगा. सिर्फ स्कूल नहीं, अन्य जगहों पर भी सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करनी होगी. साथ ही, स्कूली बच्चों को भी इन हालात से सामना करने के लिए न्यूनतम जानकारी देनी होगी. अब प्राथमिकता के तौर पर लेकर इस पर काम करना होगा.

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