नेताओं की दबंगई से शर्मसार राजनीति

‘अगर काम नहीं हुआ, तो ऐसा खौफ पैदा कर दूंगा कि बच्चों को रात में नींद नहीं आयेगी.’ ये शब्द हैं कोटा उत्तर के भाजपा विधायक प्रह्लाद गुंजल के. गबन के आरोपी एक पुरुष नर्स की मनमाफिक पोस्टिंग से इनकार करने पर विधायक द्वारा मुख्य चिकित्सा अधिकारी को फोन पर गालियां देने और धमकाने का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 19, 2014 11:46 PM

‘अगर काम नहीं हुआ, तो ऐसा खौफ पैदा कर दूंगा कि बच्चों को रात में नींद नहीं आयेगी.’ ये शब्द हैं कोटा उत्तर के भाजपा विधायक प्रह्लाद गुंजल के. गबन के आरोपी एक पुरुष नर्स की मनमाफिक पोस्टिंग से इनकार करने पर विधायक द्वारा मुख्य चिकित्सा अधिकारी को फोन पर गालियां देने और धमकाने का ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल है.

भारी बदनामी के बाद भाजपा ने भले ही गुंजल को पार्टी से निलंबित कर दिया है, लेकिन यह कड़वी हकीकत फिर बेपरदा हो गयी है कि सत्ता का घमंड कुछ नेताओं के सिर चढ़ कर बोलता है. यह स्थिति तब है, जबकि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी पार्टी के नेताओं को भाषा में संयम बरतने और लक्ष्मण रेखा न लांघने की हिदायत दे चुके हैं.

और फिर, कुछ सत्ताधारी नेताओं की ऐसी दबंगई किसी एक दल तक सीमित नहीं है. राज्यों में सत्ता पर काबिज पार्टियों के रंग एवं चिह्न् भले अलग हों, अभद्र बोल वाले दबंगों की मौजूदगी कमोबेश हर जगह है. यह अनायास नहीं है कि ऐसे नेताओं के गैरकानूनी मंसूबों में मददगार न बननेवाले अधिकारियों को बार-बार तबादलों का दंड ङोलना पड़ता है. इससे साबित होता है कि ऐसे नेता न सिर्फ नियम-कायदों को अपने मंसूबों की चेरी समझते हैं, बल्कि इसमें उन्हें सत्ता का संरक्षण भी मिलता है. यह एक बड़ी वजह है, जिसके चलते सत्ता में चाहे जो कोई भी दल पहुंचे, कुछ राज्यों में भ्रष्टाचार का आकार साल-दर-साल बढ़ता ही रहता है.

राजस्थान की ही बात करें, तो पिछले एक साल में ही भाजपा को अपने कई विधायकों के अमर्यादित बयानों के चलते शर्मिदगी ङोलनी पड़ी. राज्य में पिछली सरकार के दौरान ऐसे ही तेवर कुछ कांग्रेसी नेताओं के थे. यह स्थिति इसलिए भी है, क्योंकि कई पार्टियां चुनावी जीत के लिए दबंग नेताओं को अपरिहार्य मानती हैं और उनके स्वागत में पलकें बिछाये रहती हैं. तभी तो कभी भाजपा के खिलाफ जहर उगलनेवाले गुंजल 2013 के विधानसभा चुनाव से पहले इस पार्टी में शामिल होकर टिकट पाने में सफल रहे थे. क्या हम उम्मीद करें कि भविष्य में फिर ऐसी शर्मिदगी ङोलने से पहले ही पार्टियां दागियों पर नकेल कसने की कोई कारगर राह तलाश करेंगी? यह जरूरी इसलिए भी है, ताकि ईमानदार सेवकों का हौसला बना रहे.

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