लोभियों के गांव में ठग खायें बिरयानी
मेरी कॉलोनी का हर व्यक्ति अखबार बन कर घूम रहा था. सुर्खियां थीं कि फलाने जी बेवकूफ बन गये. उनसे लाखों रुपये ठग लिये गये. मैं सीधे फलाने जी के घर पहुंचा. गुप्ताजी और मिश्रजी पहले से उनके घर पर मौजूद थे. मैं पहुंचा, तो माजरा समझाते हुए गुप्ताजी बोले, पैसे गये सो गये, लेकिन […]
मेरी कॉलोनी का हर व्यक्ति अखबार बन कर घूम रहा था. सुर्खियां थीं कि फलाने जी बेवकूफ बन गये. उनसे लाखों रुपये ठग लिये गये. मैं सीधे फलाने जी के घर पहुंचा. गुप्ताजी और मिश्रजी पहले से उनके घर पर मौजूद थे. मैं पहुंचा, तो माजरा समझाते हुए गुप्ताजी बोले, पैसे गये सो गये, लेकिन फलाने जी जैसा पढ़ा-लिखा आदमी भी आज बेवकूफ बन गया.
पूरी कालोनी हंस रही है, इनकी बेवकूफी पर. फिर मिश्रजी बोले कि 8-9 दिन पहले फलाने जी के मोबाइल पर मैसेज आया था कि उनका नंबर एक विदेशी कंपनी की लॉटरी में चुना गया है, इसलिए इनाम के रूप में उन्हें पांच लाख यूरो (लगभग साढ़े तीन-चार करोड़ रुपये) मिलेंगे. मैसेज पढ़ते ही फलाने बाबू के दिल में लालच का जो बीज था, वह पेड़ बन गया.
बिना किसी से राय-सलाह किये इन्होंने तुरंत बताये गये ईमेल पर अपना नाम-पता और बैंक खाते का ब्योरा भेज दिया. फिर एक विदेशी नंबर से किसी अंग्रेज ने इनको फोन किया और कहा, इनके खाते में रुपये ट्रांसफर करने के लिए क्लीयरेंस नहीं मिल रहा है. क्लीयरेंस के लिए 80 हजार रुपये जमा कराने होंगे.
फलाने जी का करोड़पति बन चुका दिमाग बिना कुछ सोचे-समझे 80 हजार जमा करा आया. जमा करने के बाद फलाने जी ने फोन किया, तो अंग्रेज ने कहा कि अगले 24 घंटे में ईनाम के पैसे इनके खाते में होंगे. लेकिन 24 घंटे बाद किसी ने दिल्ली से इन्हें फोन किया और खुद को कस्टम अधिकारी बताते हुए कहा कि इनके चार करोड़ रुपये भारत आ गये हैं. कस्टम की फीस के रुप में 75 हजार रुपये जमा करें, ताकि करोड़ों रुपये इनके खाते में क्रेडिट (जमा) हो जायें. इनको लगा कि ये करोड़पति बनने से सिर्फ एक कदम दूर हैं.
तुरंत 75 हजार रुपये जमा कर दिये. अब कल से विदेशी कंपनी का फोन बंद है, कस्टम के अधिकारी का फोन ‘आउट आफ रेंज’ है और इनका खाली बैंक खाता इन्हें ‘बेवकूफ’ साबित कर चुका है. आज जब दोपहर को फलाने जी ने दिल्ली में अपने दोस्त को फोन कर जानकारी दी, तो उसने बताया कि ‘आनलाइन फ्रॉड’ के शिकार हुए हैं. आजकल इसी तरह लालच देकर लोगों को ठगा जा रहा है. फिर इनको तुरंत एफआइआर करने की सलाह दी. आज जब थाना-पुलिस हुआ, तब पूरी कहानी पता चली.
फलाने जी हम तीनों के सामने जिस तरह अपने आंसुओं को छिपा कर खुद को सामान्य दिखा रहे थे, उसी तरह मैं भी अपने होठों की हंसी छिपा कर वहां गमगीन बैठा था. चूंकि फलाने जी आर्थिक रूप से संपन्न हैं, इसलिए उन्हें डेढ़ लाख रुपये ठगे जाने का उतना दुख नहीं हुआ, जितना लोगों के मुंह से अपने लिए ‘बेवकूफ’ विशेषण सुन कर हुआ. दरअसल, गांव में कहावत है कि लोभियों के गांव में ठग भूखे नहीं सोते. लेकिन जिस गांव में फलानेजी जैसे लोभी लोग रोज बढ़ रहे हैं, वहां के ठग भी सपिरवार चिकेन-बिरयानी खाकर सोते होंगे.
पंकज कुमार पाठक
प्रभात खबर, रांची
pankaj.pathak@prabhatkhabar.in