20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

राजनीति में भी उम्र सीमा होनी चाहिए

हमारे देश में शिक्षक, न्यायाधीश, प्रोफेसर, आइएएस समेत अनेक महत्वपूर्ण पदों के लिए अवकाश-प्राप्ति की उम्र सीमा 65 वर्ष निर्धारित है. जाहिर सी बात है कि यह निर्णय मनुष्य की घटती कार्यक्षमता को ध्यान में रख कर लिया गया होगा. लेकिन आश्चर्य की बात है कि देश की दशा और दिशा का निर्धारण करनेवाले राजनेताओं […]

हमारे देश में शिक्षक, न्यायाधीश, प्रोफेसर, आइएएस समेत अनेक महत्वपूर्ण पदों के लिए अवकाश-प्राप्ति की उम्र सीमा 65 वर्ष निर्धारित है. जाहिर सी बात है कि यह निर्णय मनुष्य की घटती कार्यक्षमता को ध्यान में रख कर लिया गया होगा.

लेकिन आश्चर्य की बात है कि देश की दशा और दिशा का निर्धारण करनेवाले राजनेताओं और मंत्रियों के लिए कोई उम्र सीमा नहीं! क्या ये लोग किसी विशेष ऊर्जा से परिपूर्ण हैं? यह सोचनेवाली बात है कि जिस उम्र में मस्तिष्क में क्रियाशीलता का अभाव होने लगता है, उसी अवस्था में ये लोग राजनीति में उतरते हैं और ‘अधिक उम्र, अधिक अनुभव’ की परंपरागत थीसिस पर धाक जमाते हैं.

यह कहना भी सही है कि बढ़ती उम्र के साथ अनुभवों में वृद्धि होती है, लेकिन यह भी तो वैज्ञानिक सत्य है कि 50-60 वर्ष की आयु के बाद मस्तिष्क में क्रियाशीलता की कमी, भूलने की बीमारी, फैसला लेने में देरी जैसी मस्तिष्क संबंधी बीमारियों के अतिरिक्त हड्डियों की कमजोरी, थकावट, टालने की आदतें जैसी दर्जनों परेशानियां भी घर कर लेती हैं. ऐसे में कोई देश कैसे चला सकता है?

सुधीर कुमार,हंसडीहा, दुमका

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें