14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

देश को आश्वस्त करें प्रधानमंत्री

देश में इन दिनों विवादित बयानों की बाढ़ सी आ गयी है. ज्यादातर ऐसे बयान भाजपा या उसके मातृ-संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और संघ के वैचारिक आग्रहों से सहमति रखनेवाले संगठनों के नेताओं के मुंह से निकले हैं. ऐसे बयानों में एक समानता और है. ये बहुसंख्यकवाद के जोर से उपजे और सांप्रदायिक मनोभावों से […]

देश में इन दिनों विवादित बयानों की बाढ़ सी आ गयी है. ज्यादातर ऐसे बयान भाजपा या उसके मातृ-संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और संघ के वैचारिक आग्रहों से सहमति रखनेवाले संगठनों के नेताओं के मुंह से निकले हैं. ऐसे बयानों में एक समानता और है. ये बहुसंख्यकवाद के जोर से उपजे और सांप्रदायिक मनोभावों से प्रेरित जान पड़ते हैं. गोडसे को देशभक्त, ताजमहल को शिवमंदिर बता कर, समाज को रामजादा एवं हरामजादा में बांट कर, तो गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाने की इच्छा जता कर कई नेता पहले ही सुर्खियां बटोर चुके हैं. ऐसे बोलों की कड़ी में निरंतर इजाफा हो रहा है. अब धर्म जागरण मंच के राजेश्वर सिंह का एजेंडा 2021 तक भारत के हर नागरिक को हिंदू बना देने का है, तो विहिप के अशोक सिंघल ज्ञान दे रहे हैं कि दुनिया में युद्ध मुसलमानों या ईसाइयों के कारण हो रहे हैं.

विवादित बयानों से चलनेवाली राजनीति को यह कह कर हल्के में नहीं लिया जा सकता कि ये सिर्फ सुर्खियां बटोरने के लिए हैं. ऐसे बयानों का मकसद जनहित के मुद्दों से ध्यान भटका कर वोटों की गोलबंदी करना भी होता है. भारतीय संविधान की मूल भावना के विरुद्ध जाते ये बयान एक राजनीतिक शून्य की सूचना देते हैं. इस समय केंद्र में सत्ता पक्ष के भारी बहुमत के सामने विपक्ष का आकार और उसी अनुपात में आवाज काफी कमजोर है. इसलिए नजरें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिकी हैं, जिन्होंने चुनावों में वोट अपने विकास के एजेंडे के नाम पर मांगे थे. विपक्ष चाहता है कि ऐसे विवादित बोलों से पैदा होते सामाजिक वैमनस्य के माहौल को लक्ष्य करके मोदी विवेक की कोई बात कहें.

लेकिन, हर माह ‘मन की बात’ कहने और विदेशी मोर्चो पर सक्रिय रहनेवाले प्रधानमंत्री संसद के भीतर विपक्ष की मांग से और संसद के बाहर समाज में पैदा होते माहौल से निरपेक्ष होकर मौन साधे हुए हैं. इससे देश वैसी ही दशा में लौटता प्रतीत होता है, जब यूपीए सरकार के वक्त किसी तरह के भ्रम की स्थिति में प्रमुख विपक्षी दल भाजपा सीधे प्रधानमंत्री से स्पष्टीकरण की मांग करती थी, लेकिन मनमोहन सिंह मौन साधे रहते थे. इससे पहले कि विवादित बोलों से सौहार्द का माहौल बिगड़े, प्रधानमंत्री को चाहिए कि देश को आश्वस्त करें कि सांविधानिक जीवन-मूल्यों पर कोई आंच नहीं आने दी जायेगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें