आर्तनाद करने से नहीं मिटेगा आतंक
आज के युग में आंतकवाद सबसे ज्वलंत अंतरराष्ट्रीय समस्या है. लगभग सभी देश इससे पीड़ित हैं. इसका रूप अब विकराल हो चुका है. आज यह विभिन्न रूपों में फैल रहा है. इसने अब एक संगठित उद्योग का रूप धारण कर लिया है. भारत भी इस आतंकवाद से त्रस्त है, पर कोई कदम उठाने में असमर्थ […]
आज के युग में आंतकवाद सबसे ज्वलंत अंतरराष्ट्रीय समस्या है. लगभग सभी देश इससे पीड़ित हैं. इसका रूप अब विकराल हो चुका है. आज यह विभिन्न रूपों में फैल रहा है. इसने अब एक संगठित उद्योग का रूप धारण कर लिया है. भारत भी इस आतंकवाद से त्रस्त है, पर कोई कदम उठाने में असमर्थ है. हर बार टेप रिकॉर्डर की तरह संयम बरतने और किसी को नहीं बख्शने की बात कहने से काम नहीं चलेगा. पाकिस्तान आतंकवादियों को शह देता है. भारत यह जानते हुए भी कभी अंतरराष्ट्रीय मंच पर कुछ ज्यादा नहीं बोल पाता. भारत इस मुद्दे पर ढुलमुल रवैया अपनाता आ रहा है. जो भी सरकार बनती है, वह इस मसले पर कुछ नहीं कर पाती है.
नयी सरकार से काफी उम्मीदें हैं, पर इसके परिणाम को देखने के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा. पाकिस्तान में सिर्फ नाम मात्र का लोकतंत्र है. नवाज शरीफ भी कड़े फैसले लेने में असमर्थ दिख रहे हैं. पूरा देश सेना चलाती है. सेना आतंकवादियों को पाल भी रही है. पेशावर की इतनी बड़ी घटना हो जाने के बावजूद पाकिस्तान सबक नहीं ले रहा है. अब नहीं लगता कि पाकिस्तान आंतकवाद को मिटाने के लिए कुछ कर पायेगा, क्योंकि वहां की राजनीतिक अवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी है और शासन में सेना का हस्तक्षेप है.
दुनिया के बड़े राष्ट्र सब जानते हुए भी कोई कड़ा कदम उठाने में एकदम असमर्थ नजर आते हैं. आतंकवाद की जड़ को काटने के लिए दुनिया का कोई भी राष्ट्र ईमानदारी से प्रयास नहीं कर रहा है. जरूरत है कि अब विश्व के सभी राष्ट्र इस पर गहन विचार और विश्लेषण करें, वरना सारा विश्व विनाश के कगार पर पहुंच जायेगा. दुनिया के सामने आर्तनाद करने से अब काम नहीं चलेगा.
पूनम गुप्ता, मधुपुर