नशे का आदी होता युवा वर्ग
रांची अब बड़े शहरों का रूप ले रहा है साथ ही यहां के लोगों के रहन–सहन में भी काफी तेजी से बदलाव आ रहा है. बड़े शहरों की तरह ही लोगों का शौक भी बदल रहा है. देर रात तक पार्टी, नशीले पदार्थो का सेवन यहां के युवा वर्ग के लिए एक क्रेज बन गया […]
रांची अब बड़े शहरों का रूप ले रहा है साथ ही यहां के लोगों के रहन–सहन में भी काफी तेजी से बदलाव आ रहा है. बड़े शहरों की तरह ही लोगों का शौक भी बदल रहा है. देर रात तक पार्टी, नशीले पदार्थो का सेवन यहां के युवा वर्ग के लिए एक क्रेज बन गया है. रांची मे युवराज सिंह द्वारा कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को मिटाने की अपील की गयी, जिन्होंने खुद यह पीड़ा ङोली है पर यह अपील कहां तक सही है, यह समझ पाना बहुत कठिन है.
कहा जाता है कि नशे से मनुष्य का नाश होता है. फिर भी लोग इसे नहीं छोड़ रहे. कैंसर से प्रत्येक वर्ष लाखों लोग प्रभावित होते हैं, और हजारों की मृत्यु हो जाती है और इसमें सबसे जयादा युवा वर्ग प्रभावित है. रांची शहर का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है, जहां नशीले पदार्थ ना बनाये और बेचे जाते हों. मोरहाबादी मैदान, हरमू मैदान, स्कूल–कॉलेजों के बाहर नशेड़ियों का अड्डा जमता है. ग्रामीण क्षेत्रों मे तो नशीले पदार्थो की बिक्री होती ही है, यहां खुलेआम बीच शहर मे शराब, हड़िया और अन्य मादक पदार्थ बेचे जाते हैं.
गुटखा की बिक्री पर प्रतिबंध लगा है पर राज्य के सबसे बड़े अस्पताल के बाहर धड़ल्ले से इसकी बिक्री की जा रही है. राज्य के छोटे बड़े सभी होटलों और रेस्तरां मे शराब परोसी जाती है. ऐसे में कैंसर पर कैसे नियंत्रण पाया जाये. आज लगभग सभी वारदातों को नशे का सेवन कर अंजाम दिया जाता है. सबसे पहले नशीले पदार्थो की बिक्री पर नियंत्रण आवश्यक है. इससे नशे के कारण होने वाले अपराध पर भी नियंत्रण लगेगा और युवा वर्ग भी भटकने से बच जायेगा. पर ऐसा नहीं हो सकता, क्योंकि राज्य सरकार को इन्हीं नशीले पदार्थो से बड़ी मात्र में राजस्व मिलता है. तब देश का भविष्य माने जानेवाले युवा वर्ग का क्या होगा, इससे सरकार को कोई मतलब नहीं.