स्मार्ट सिटी और स्वतंत्रता
डॉ भरत झुनझुनवाला अर्थशास्त्री स्मार्ट सिटी के कैमरे, बिजली मीटर, बस-मेट्रो का टिकट, रेस्तरां बिल आदि की सूचना यदि विदेशी सरकारों के पास हो, तो हमारी-आपकी स्वतंत्रता ही नहीं, बल्कि देश की संप्रभुता पर भी संकट आ सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 100 स्मार्ट सिटी स्थापित करने का संकल्प आगे बढ़ता दिख रहा है. […]
डॉ भरत झुनझुनवाला
अर्थशास्त्री
स्मार्ट सिटी के कैमरे, बिजली मीटर, बस-मेट्रो का टिकट, रेस्तरां बिल आदि की सूचना यदि विदेशी सरकारों के पास हो, तो हमारी-आपकी स्वतंत्रता ही नहीं, बल्कि देश की संप्रभुता पर भी संकट आ सकता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 100 स्मार्ट सिटी स्थापित करने का संकल्प आगे बढ़ता दिख रहा है. वाराणसी का विकास जापान के क्योटो शहर की तर्ज पर करने के लिए जापान ने सहायता करना स्वीकार कर लिया है. तेलंगाना सरकार ने हैदराबाद को दुबई की मदद से स्मार्ट सिटी बनाने को एक शिष्टमंडल दुबई भेजा है. देश के राज्यों में स्मार्ट सिटी बनाने की होड़ सी लगी हुई है.
यह एक सकारात्मक संकेत है. बढ़ती आबादी को कम संसाधनों में उच्च जीवन स्तर उपलब्ध कराने में वे हमारी मदद कर सकते हैं. घरों में रोशनी की तेजी को सूर्य के प्रकाश के अनुसार बढ़ाया-घटाया जा सकता है. स्कूल में यदि कोई शिक्षक अनुपस्थित हो, तो दूसरे स्कूल से विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के सहारे छात्रों को पढ़ाया जा सकता है. आपको अमुक समय अमुक स्थान पर पहुंचना हो, तो उस दिशा में जानेवाले दूसरे गाड़ी चालक को सूचना दी जा सकती है कि वह आपको ले जाये.
ट्रैफिक चौराहे पर गाड़ियों की संख्या के अनुसार हरी-लाल बत्ती का समय घटाया-बढ़ाया जा सकता है. इन कार्यो को संपादित करने के लिए घर के अंदर-बाहर तमाम सेंसर लगाने होंगे, जिससे हर स्थान पर आने-जानेवालों की संख्या का आकलन किया जा सके. जाहिर है कि इन कैमरों में आपकी-हमारी फोटो कैद होगी. बस-मेट्रो स्टेशनों पर कैमरे से आपके आवागमन की पूरी जानकारी सरकार को उपलब्ध हो जायेगी. घर में लगे बिजली के मीटर से कंपनी को सूचना मिल जायेगी कि आप कितने बजे घर से बाहर जाते हैं और कितने बजे वापस आते हैं.
यूरोपियन यूनियन के एक शोध में चार व्यक्तिगत सूचनाओं का उल्लेख है. पहली सूचना व्यक्ति की संपत्ति, आय, उम्र, स्थान, जाति, शिक्षा आदि से संबंधित है. यह सूचना तमाम सरकारी दफ्तरों में आपको देनी होती है, जैसे बैंक में खाता खोलने अथवा पैन कार्ड बनवाने के लिए. दूसरी सूचना आपके शरीर से संबंधित है, जैसे आपकी बीमारियां अथवा पेसमेकर जैसे उपकरणों की जरूरत के संबंध में. तीसरी सूचना आपके व्यवहार से संबंधित है, जैसे आप चाय पीने कौन से रेस्तरां में जाते हैं.
चौथी सूचना आप द्वारा की गयी बातचीत की है, जैसे मोबाइल फोन द्वारा. इसके अलावा आपके द्वारा किस वस्तु को किस दुकान से खरीदा गया है, यह जानकारी आपके डेबिट कार्ड तथा कंपनियों के बिक्री रिकॉर्ड से निकाली जा सकती है.
स्मार्ट सिटी में व्यक्ति हर समय हर स्थान पर कंप्यूटर की निगरानी में रहेगा. उसकी स्वच्छंदता और स्वतंत्रता समाप्तप्राय हो जायेगी. जैसे आप सुबह पार्क में अखबार पढ़ रहे हों, तो सामने लगा कैमरा आपको बेचैन कर देगा. सोचिए कि स्वतंत्रता संग्राम के समय ब्रिटिश सरकार के पास ऐसी सूचना होती, तो स्वतंत्रता सेनानियों का कार्य कितना दुष्कर होता. अमेरिका की घोषित नीति है कि विदेशी नागरिकों की निगरानी करने का उसे नैतिक अधिकार है. स्मार्ट सिटी के कैमरे, बिजली मीटर, बस-मेट्रो का टिकट, रेस्तरां बिल आदि की सूचना यदि विदेशी सरकारों के पास हो, तो हमारी-आपकी स्वतंत्रता ही नहीं, बल्कि देश की संप्रभुता पर भी संकट आ सकता है. इसी दृष्टि से आधार कार्ड का विरोध हुआ.
चुनौती है कि कंप्यूटर के सहयोग से बिजली, पानी और ईंधन तेल की खपत पर नियंत्रण किया जाये और शहर को सुरक्षित बनाया जाये. परंतु इस दौरान एकत्रित की गयी सूचना का दुरुपयोग न हो. इक्वाडोर स्थित ‘मुफ्त, उदारवाद, खुली सूचना सोसायटी’ ने इस दिशा में महत्वपूर्ण सुझाव दिये हैं. पहला सुझाव है कि इंटरनेट के माध्यम से भेजी अथवा पायी गयी सूचना को इन्क्रिप्ट किया जाये, जिससे दूसरे द्वारा इसे जानना तथा दुरुपयोग करना संभव न हो.
दूसरे, धोखे से जानकारी पाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया जाये. जैसे आप किसी रेस्तरां में चाय पीने गये, तो रेस्तरां पर प्रतिबंध होना चाहिए कि इस जानकारी को किसी दूसरे को उपलब्ध न कराये. यह प्रतिबंध बैंक खातों तथा डेबिट कार्ड पर भी लागू होना चाहिए. तीसरा, एकत्र सूचना का उपयोग व्यक्ति की सहमति के बाद ही किया जाये. चौथा, सूचना के गैर-कानूनी उपभोग या हस्तांतरण को रोकने के लिए सख्त कानून बने, क्योंकि किसी तानाशाह के हाथ में ये जानकारियां बहुत ही हानिप्रद सिद्घ हो सकती है.
कंप्यूटर से छुटकारा संभव नहीं है. सूचना प्रौद्योगिकी का विस्तार होगा ही. सड़कों पर कैमरे लगेंगे ही. स्मार्ट सिटी बनेंगी ही और इन्हें बनना भी चाहिए. जरूरत व्यक्तिगत स्वतंत्रता और पर्यावरण रक्षा के बीच संतुलन बनाने की है. कहीं ऐसा न हो कि बिजली की खपत कम करने के प्रयास में हम अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता और राष्ट्र की संप्रभुता को ही गंवा बैठें. इसलिए भारत को जापान, अमेरिका, सिंगापुर तथा दुबई जैसे देशों से स्मार्ट सिटी बनाने में मदद इस शर्त पर ही लेना चाहिए कि हमारी व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा का पर्याप्त ध्यान रखा जायेगा.