(पटना हाइकोर्ट का आदेश)
एमसीएच सहित बिहार के किसी भी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कोई जाये, तो उसे कुछ समस्याएं समान रूप से झेलनी पड़ेंगी. यहां मरीज व उनके परिजनों के अलावा तरह–तरह के धंघे में लोगों का जमावड़ा मिलेगा, जो उन्हें निजी अस्पतालों में जाने को प्रेरित करते मिलेंगे. जहां–तहां अतिक्रमण कर बनायी गयी दवा की दुकानें और यहां तक की जांचघर भी मिल जायेंगे. ये अतिक्रमण मेडिकल कॉलेजों के सुचारु संचालन में स्पष्ट बाधा पहुंचाते हैं.
इन्हें अतिक्रमणमुक्त करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में पटना हाइकोर्ट को मॉनीटरिंग करने का निर्देश दिया था. अब पटना हाइकोर्ट ने गुरुवार को बिहार सरकार को सभी छह मेडिकल कॉलेजों का लेआउट प्लान पेश करने का निर्देश दिया है.
अब मामला जमीन के अतिक्रमण तक सीमित नहीं रहा, बल्कि कोर्ट यह भी देखेगा कि इन अस्पतालों को किस प्रकार बनना था और आज इनकी क्या स्थिति है. इससे यह तो स्पष्ट है कि कोर्ट जनहित के मामलों में गंभीर है और कोर्ट की इस सख्ती का देर–सबेर अच्छा नतीजा निकलेगा. राज्य का स्वास्थ्य महकमा राज्य के अंतिम घर और अंतिम व्यक्ति के दरवाजे तक स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने की घोषणा करता है. इसीलिए इस विभाग को अब बिना देर किये कोर्ट के समक्ष पूरा ले–आउट प्लान पेश करना चाहिए,पर स्वस्थ बिहार के नारे को अमल में लाने के लिए इतना ही काफी नहीं है.
सरकार के इस महकमे को विभिन्न तरह के टीकाकरण अभियानों की सफलता से ही संतुष्ट नहीं होना चाहिए, बल्कि उसे अस्पतालों को आधुनिक बनाने पर जोर देना होगा. आज भी दूर–दराज के अस्पतालों में एक्सरे जैसी बुनियादी सुविधाएं तक मयस्सर नहीं हैं. मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में नयी तकनीक वाली मशीनों का घोर अभाव है.
अगर मशीनें आती भी हैं, तो उनका रख–रखाव उचित ढंग से नहीं होता और वे कुछ ही दिनों में खराब हो जाती हैं. इसके बाद फिर से मरीज बाहर से जांच कराने को मजबूर हो जाते हैं. डॉक्टरों की समय से उपस्थिति आज तक सुनिश्चित नहीं हो पायी है. दवाओं की खरीद के मामले में अनियमितता की शिकायतें मिलती रहती हैं. अस्पतालों में 24 घंटे बिजली सुनिश्चित नहीं है और इसके अभाव में ऑपरेशन की तारीखें टलती रहती हैं.
स्वास्थ्य सेवा राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है और इसमें दो राय नहीं कि स्थितियों में पहले की तुलना में सुधार हुआ है, पर स्वस्थ बिहार के नारे को अमल में लाने के लिए पूरे विभाग की ओवरहॉलिंग करने की जरूरत है.