सिर्फ नरेंद्र मोदी को ही दोष क्यों?
सांप्रदायिक दंगे की जितनी आलोचना की जाये कम है, क्योंकि इसमें सिर्फ निर्दोष, गरीब और साधारण लोग ही मारे जाते हैं. जिस किसी दल, संगठन, संप्रदाय या नेता का दंगा कराने में प्रत्यक्ष या परोक्ष हाथ हो, वह निंदनीय है. लेकिन 2002 के गुजरात दंगे के बाद लगता है कि आजादी के समय या उसके […]
सांप्रदायिक दंगे की जितनी आलोचना की जाये कम है, क्योंकि इसमें सिर्फ निर्दोष, गरीब और साधारण लोग ही मारे जाते हैं. जिस किसी दल, संगठन, संप्रदाय या नेता का दंगा कराने में प्रत्यक्ष या परोक्ष हाथ हो, वह निंदनीय है.
लेकिन 2002 के गुजरात दंगे के बाद लगता है कि आजादी के समय या उसके बाद अब तक सिर्फ नरेंद्र मोदी ही सांप्रदायिक दंगे के लिए जिम्मेवार हैं और अन्य सभी पार्टियां और उनके नेता दूध के धुले हैं.
1989 का भागलपुर दंगा, जिसमें कम से कम तीन हजार लोग मारे गये थे, 1984 का सिख विरोधी दंगा, जिसमें हजारों निर्दोषों की जान गयी थी, और अन्य बीसियों दंगे जो आजादी के बाद हुए, उन्हें हम कैसे भूल जाते हैं? इन दंगों में न तो नरेंद्र मोदी का शासन था और न सिर्फ भाजपा का. भारत विभाजन के समय जो भयंकर रक्तपात हुआ, जिसमें लगभग दस लाख निर्दोष लोग मारे गये थे, उस समय नेहरू–पटेल आदि नेता भी उनकी जान नहीं बचा सके थे. दंगे के लिए आपराधिक तत्व, अफवाह और दलगत राजनीति सभी जिम्मेवार होते हैं, जिनसे बचने की कोशिश हो.
।। शिव कुमार चौधरी ।।
(गांधीनगर, रांची)