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आंतरिक सुरक्षा पर एहतियात की जरूरत

दक्षिण एशिया की उभरती हुई ताकत के रूप में आज भारत विश्व स्तर पर अपनी छाप छोड़ रहा है. राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक मुद्दों पर अपना दबदबा हमारे देश ने कायम किया है. तीसरी दुनिया के देशों में गिने जाने के बावजूद आज भारत पहचान का मोहताज नहीं है. इन दिनों देश अपनी सीमा की सुरक्षा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 15, 2013 4:40 AM

दक्षिण एशिया की उभरती हुई ताकत के रूप में आज भारत विश्व स्तर पर अपनी छाप छोड़ रहा है. राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक मुद्दों पर अपना दबदबा हमारे देश ने कायम किया है. तीसरी दुनिया के देशों में गिने जाने के बावजूद आज भारत पहचान का मोहताज नहीं है. इन दिनों देश अपनी सीमा की सुरक्षा को लेकर जितना चिंतित है, उतनी ही चिंता उसे देश की अंदरूनी सुरक्षा के बारे में भी करनी होगी.


बीती
सात जुलाई को, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात बोधगया मंदिर प्रांगण में नौ धमाके इसी बात को दर्शा रहे हैं. हालांकि धमाकों के बाद देश भर में सुरक्षा व्यवस्था को और पुख्ता कर दिया गया, लेकिन सांप के गुजर जाने के बाद ही हमेशा क्यों प्रशासन की नींद खुलती है? इस सवाल का जवाब जरूरी है, वरना इस प्रकार देश की सुरक्षा में सेंध लगती रही, तो कहीं कहीं आज भी हम दुनिया की नजर में कमजोर साबित होते रहेंगे. स्वतंत्रता दिवस के पहले ऐसी शर्मनाक घटना, किसी भी गणतांत्रिक राष्ट्र के लिए चिंता का विषय है, जिसे नजरअंदाज कभी नहीं किया जा सकता. ऐसे में सरकार को चाहिए कि आपसी बयानबाजी में पड़ कर ऐसी घटनाएं रोके.

।। आनंद कानू ।।

(सिलीगुड़ी)

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