आचार्य विष्णुगुप्त की भूमिका में बाबा रामदेव
बीते दिनों जोधपुर में बाबा रामदेव अपने अनुयायियों की बड़ी संख्या को राष्ट्र प्रेम का संदेश देते हुए राष्ट्र सेवा के लिए उत्प्रेरित कर रहे थे. भारत माता को भय–भूख–भ्रष्टाचार से मुक्त कराने तथा विदेशों से काला धन भारत लाने के लिए उन्होंने नरेंद्र मोदी जैसे सशक्त व्यक्ति को देश का प्रधानमंत्री बनाने की वकालत […]
बीते दिनों जोधपुर में बाबा रामदेव अपने अनुयायियों की बड़ी संख्या को राष्ट्र प्रेम का संदेश देते हुए राष्ट्र सेवा के लिए उत्प्रेरित कर रहे थे. भारत माता को भय–भूख–भ्रष्टाचार से मुक्त कराने तथा विदेशों से काला धन भारत लाने के लिए उन्होंने नरेंद्र मोदी जैसे सशक्त व्यक्ति को देश का प्रधानमंत्री बनाने की वकालत की, साथ ही उन्होंने कांग्रेस पार्टी और इसकी भ्रष्ट सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया. उनकी भाव–भंगिमा देख सहसा मौर्य कालीन आचार्य विष्णुगुप्त की छवि जेहन में उभर आयी, कि किस तरह उन्होंने तत्कालीन भ्रष्ट धनानंद और उसके नंदवंश को समूल उखाड़ फेंका और चंद्रगुप्त को एक अखिल भारतीय सम्राट के रूप में स्थापित किया.
संभव है कि परिस्थितियां वैसी न हों, लेकिन उनके तेवर और इच्छाशक्ति देख कर ऐसा लगा मानो आज भी जाति, धर्म, प्रांत के बीच बंटे देशवासियों में राष्ट्र भाव समाहित करने का सार्थक प्रयास हो सकता है. बहरहाल बाबा देश में क्या परिवर्तन लाते हैं, यह देखने की बात होगी, लेकिन उनके लिए यह कहना सटीक होगा, ‘वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिता:!’
।। रवींद्र पाठक ।।
(जमशेदपुर)