इंटरनेट के 25 साल
सूचना तकनीक के इस्तेमाल को सर्वव्यापी बनाने के उद्देश्य से भारत सरकार ‘डिजिटल भारत’ मुहिम चला रही है.
बीते एक चौथाई सदी में सूचना तकनीक ने हमारे जीवन को जिस हद तक प्रभावित किया है और उस पर हमारी निर्भरता बढ़ी है, वैसा अतीत की किसी और तकनीक के साथ नहीं हुआ. आज इंटरनेट मौसम की जानकारी से लेकर मनोरंजन तक और संवाद से लेकर समाचारों तक पहुंचने का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है. यह एक ओर व्यवसायों और वितीय गतिविधियों को गति दे रहा है, तो दूसरी ओर उद्योग एवं उत्पादन का विशिष्ट आधार बन गया है.
पच्चीस साल पहले जब इंटरनेट का आगमन भारत में हुआ था, तब इसकी असीम संभावनाओं से परिचित होने के बावजूद शायद ही किसी ने ऐसी कल्पना की होगी कि आज कोरोना संक्रमण से जूझते देश में यह चिकित्सा में भी सहायक होगा और लोग अपने घरों में सुरक्षित रहकर कामकाज कर सकेंगे. इस अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था ने जो उल्लेखनीय बढ़ोतरी हासिल की है तथा हमारे दैनिक जीवन में जो समृद्धि व सुविधा आयी है, उसका श्रेय बहुत हद तक इंटरनेट को जाता है. वैश्विक गांव की परिकल्पना को साकार इसी तकनीक ने किया है, जिसकी वजह से अब कोई भी सीमा संपर्क में बाधा नहीं रही है.
आज भारत न केवल उपभोक्ताओं के लिहाज से बड़ा बाजार है, बल्कि यहां सबसे सस्ती दर पर इंटरनेट सेवा भी उपलब्ध है. हमारा देश उपभोक्ताओं की दृष्टि से चीन के बाद दूसरे स्थान पर है. ऐसे में न केवल शहरों में, बल्कि देहातों में भी स्मार्ट फोन और कंप्यूटर से लोग जुड़ रहे हैं. कुछ समय पहले के अध्ययन में पाया गया है कि गांवों में औसतन इस तकनीक का कम उपभोग भले हो रहा है, पर ग्रामीण भारत के उपभोक्ताओं की संख्या शहरों से 10 फीसदी अधिक हो गयी है.
सेवाओं, सुविधाओं और वस्तुओं को पहुंचाने में सूचना तकनीक के इस्तेमाल को सर्वव्यापी बनाने के उद्देश्य से भारत सरकार ‘डिजिटल भारत’ मुहिम चला रही है, जिसके तहत गांव-गांव तक अत्याधुनिक और तेज गति की इंटरनेट सुविधा पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है. इस पहल का परिणाम है कि आज महामारी के इस संकटकाल में बच्चों की पढ़ाई भी ऑनलाइन हो रही है तथा अन्य कई कामकाज भी संपन्न हो रहे हैं. भारत में कोरोना से पहले सात करोड़ से अधिक बच्चे ऑनलाइन सेवाओं का उपभोग कर रहे थे. किसानों, कामगारों और वंचित तबके को कल्याण योजनाओं का लाभ पहुंचाने में भी इंटरनेट बहुत मददगार साबित हुआ है.
भारत के लिए यह तथ्य गौरवपूर्ण है कि भारत में प्रशिक्षित इंजीनियरों और कारीगरों ने इंटरनेट के वैश्विक विस्तार में बड़ी भूमिका निभायी है. लेकिन हमारे सामने चुनैतियां भी बहुत हैं. आज अमेरिका में इंटरनेट की पहुंच का दायरा 88 फीसदी और चीन में 61 फीसदी है, लेकिन हमारे यहां यह आंकड़ा 40 फीसदी ही है. इसके अलावा डिजिटल विषमता और तकनीकी क्षमता का कमतर होना भी चिंताजनक है. सरकार और निजी क्षेत्र की कोशिशों से इन कमियों के जल्दी दूर होने की उम्मीद है.