नशे की गिरफ्त में बच्चे
बड़े-बड़े विवाह स्थलों पर शाकाहारी, मांसाहारी और शराबप्रेमियों के लिए अलग-अलग व्यवस्था तो पहले से ही रही है मगर अब विवाह में हुक्का पवेलियन भी देख कर भी बड़ी हैरानी होती है. गुड़गांव के संपन्न परिवारों के सौ से ज्यादा नाबालिग बच्चों का बार मैनेजर और स्टाफ सहित पकड़े जाना उसी कल्चर का एक नमूना […]
बड़े-बड़े विवाह स्थलों पर शाकाहारी, मांसाहारी और शराबप्रेमियों के लिए अलग-अलग व्यवस्था तो पहले से ही रही है मगर अब विवाह में हुक्का पवेलियन भी देख कर भी बड़ी हैरानी होती है.
गुड़गांव के संपन्न परिवारों के सौ से ज्यादा नाबालिग बच्चों का बार मैनेजर और स्टाफ सहित पकड़े जाना उसी कल्चर का एक नमूना है. इन बच्चों में छात्राओं को देख कर तो और भी हैरानी है. ये सभी अच्छे स्कूलों और परिवारों के बच्चे हैं, जो टय़ूशन पढ़ने या फिल्म देखने के बहाने घरों से निकले थे. अंगरेजी में कहावत है, ‘माइट करप्ट्स द अलमाइटी’. यानी शक्ति मानव को भ्रष्ट बनाती है. प्राय: धन, बल और सत्ता की ताकत में ही इनसान अंधा होकर प्राय: कुछ भी करने लगता है.
आज माता-पिता के पास इन्हें देखने के लिए वक्त और रुचि न होने से ही ऐसा है और बाकी कसर तो आज का प्रदूषित माहौल पूरा कर ही रहा है जो अराजकता की देन है. शराब, गंदे सिनेमा और फैशन का ही तो यह दुष्प्रभाव है, जिस पर हुकूमत का कोई ध्यान नहीं है. नशे के बारों को बंद कर सरकार दूध, मेवों, फलों के सेवन को प्रोत्साहित क्यों नहीं करती?
।। वेद प्रकाश ।।
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