जरूरतमंदों के साथ बांटें खुशियां
देखते ही देखते एक बार फिर नया साल नये यश, उल्लास और समृद्धि की कामना के साथ दस्तक देने को तैयार है. हर बार हम नये साल के मौके पर नये संकल्प के साथ इसकी शुरुआत करते हैं. यह बात दीगर है कि कोई इसका दृढ़ता से पालन करता है, तो कोई उसे टाल देता […]
देखते ही देखते एक बार फिर नया साल नये यश, उल्लास और समृद्धि की कामना के साथ दस्तक देने को तैयार है. हर बार हम नये साल के मौके पर नये संकल्प के साथ इसकी शुरुआत करते हैं. यह बात दीगर है कि कोई इसका दृढ़ता से पालन करता है, तो कोई उसे टाल देता है. हर नववर्ष के स्वागत में हम सैकड़ों-हजारों रुपये पिकनिक के नाम पर उड़ा देते हैं. क्यों न इस बार की पिकनिक ऐसी हो कि कम खर्चे में ही अपने साथ-साथ दूसरे जरूरतमंदों के लिए भी कुछ खुशियां समेट ली जायें?
क्या वर्ष के एक दिन के कुछ घंटे भी हम मानवता की खातिर अपने समाज के वंचितों, शोषितों के लिए समर्पित नहीं कर सकते? दूसरों के प्रति द्वेष की भावना का अंत कर शांति, सद्भाव और आगे बढ़ने का एक सकारात्मक माहौल का निर्माण करें. सबसे बड़ी और अच्छी बात यह सभी भारतीय पुरुषों की कोशिश स्त्रियों को मानसिक एवं शारीरिक सुरक्षा देने की होनी चाहिए. बीते कुछ वर्षो में हमारे समाज की मां-बहनें विभिन्न कारणों से खून के आंसू रोने को मजबूर हैं. कहीं न कहीं इसके कसूरवार हम भी हैं. आज आसपास घटित किसी दुर्घटना को देख आंख बंद करने की हमारी घटिया प्रवृत्ति पर रोक लगाने की दरकार है.
नये साल में नयी सरकार से हर वर्ग को नये तोहफे मिलने की भी आशा है. नयी सरकार नयी ऊर्जा के साथ देश को प्रगति की पथ पर अग्रसर रखे, हम इसकी भी कामना करते हैं. सामाजिक व्यवस्था में हाशिये पर चले गये लोगों को जीवन जीने का उचित आधार मिले. गरीबों, वंचितों एवं शोषितों की जीवन दशा में सुधार हो और उनकी संख्या घटे. हम इसकी भी आशा करते हैं. आइए, हम सभी नये साल का नये संकल्पों के साथ स्वागत करें.
सुधीर कुमार, गोड्डा