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सफाई अभियान को चिढ़ा रहे हैं कचरे

जब से देश में मोदी युग शुरू हुआ है, नेताओं का एक मात्र लक्ष्य सत्ता प्राप्ति ही रह गया है. सभी पार्टी व उसके वरिष्ठ नेता हाशिये पर आ गये हैं. नीति-सिद्धांत तो ताक पर रख कर दो लोगों की जोड़ी ही फैसले कर रही है. घोषणाओं के अंबार लग रहे हैं, लेकिन वास्तविक धरातल […]

जब से देश में मोदी युग शुरू हुआ है, नेताओं का एक मात्र लक्ष्य सत्ता प्राप्ति ही रह गया है. सभी पार्टी व उसके वरिष्ठ नेता हाशिये पर आ गये हैं. नीति-सिद्धांत तो ताक पर रख कर दो लोगों की जोड़ी ही फैसले कर रही है. घोषणाओं के अंबार लग रहे हैं, लेकिन वास्तविक धरातल पर कोई काम पूरा नहीं हो पा रहा है.

देश में शोर-शराबे के साथ प्रधानमंत्री जन-धन योजना की शुरुआत की गयी, लेकिन इसके आरंभ होने के कई महीने बाद भी कई बैंकों की शाखाओं में आज भी सैकड़ों आवेदन लंबित पड़े हैं. देश के एक बड़े बैंक की रांची स्थित शाखा में ऐसा ही एक आवेदन मेरा भी है. प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि आवेदन करने के साथ ही लोगों के खाते खुल जायेंगे, लेकिन बैंक के कर्मचारी उनकी ही घोषणाओं की धज्जियां उड़ा रहे हैं. खाता खोलने के बारे में जब बैंक कर्मचारियों से पूछताछ करने जाते हैं, तो वे मेरे साथ अभद्र व्यवहार करने से भी बाज नहीं आते. उनसे मिल कर ऐसा लगता है, जैसे हम उनसे भीख मांगने गये हों.

इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री महोदय ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत गली, मोहल्लों, सड़क, बाजारों आदि की सफाई के लिए की थी, मगर उसका हश्र भी अन्य सरकारी योजनाओं की तरह ही हो रहा है. आज शहर की सफाई करने के लिए रांची नगर निगम जैसा बड़ा सरकारी जहाज खड़ा है. इसके अधिकांश सदस्य, मेयर, डिप्टी मेयर आदि भी प्रधानमंत्री वाली ही पार्टी के हैं. इसके बावजूद शहर की सड़कों के किनारे, मोहल्लों की गलियों और सार्वजनिक स्थानों पर कूड़े का अंबार लगा है. ये कचरे प्रधानमंत्री की कोशिशों को मुंह चिढ़ाते हुए नजर आ रहे हैं. स्थिति यह कि शिकायत करने पर कोई नहीं सुनता.

राजकिशोर सिंह, रांची

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