माननीय उच्चतम न्यायालय का हाल का फैसला कि सरकारी आवास समय पर खाली हों, एक स्वागतयोग्य फैसला है. क्योंकि अक्सर देखा जाता है कि सेवानिवृत्ति के बाद सरकारी पदाधिकारी, सरकारी आवास समय पर खाली नहीं करते हैं.
हमारे मंत्री, सांसद व विधायक आदि भी पीछे नहीं हैं, क्योंकि वे भी पद से हटने के पश्चात, सरकारी आवास समय पर खाली नहीं करते हैं, इसलिए माननीय उच्चतम न्यायालय का यह निर्णय कि सरकारी पदाधिकारी और कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के तीन माह पूर्व नोटिस (सूचना) भेज दिया जाये कि सेवानिवृत्ति के पश्चात सरकारी आवास खाली हो जाये और ऐसा नहीं करनेवाले पदाधिकारियों व कर्मचारियों के विरुद्घ बल का भी प्रयोग किया जा सकता है.
दूसरी ओर, मंत्री, सांसद व विधायक तो पद से हटने के पश्चात भी सरकारी आवास खाली नहीं करते हैं, इसलिए माननीय उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद देखना है कि कितने मंत्री, सांसद और विधायक आदि इस फैसले को मानते हैं और केंद्र सरकार व राज्य सरकारें इस संबंध में क्या ठोस प्रक्रिया अपनाती हैं.
।। डॉ भुवन मोहन ।।
(हिनू, रांची)