झारखंड को प्रयोगशाला न बनायें
झारखंड हमेशा से राजनीतिक अस्थिरता का शिकार होता आया है. राज्य में तीन बार राष्ट्रपति शासन और आठ बार सरकार में बदलाव का अनुभव झेल चुकी जनता के सामने 13 साल की अल्पायु में 9वें मुख्यमंत्री के रूप हेमंत सोरेन की ताजपोशी ने राज्य की राजनीतिक स्थिरता को पुन: खतरे में डाल दिया है. वर्तमान […]
झारखंड हमेशा से राजनीतिक अस्थिरता का शिकार होता आया है. राज्य में तीन बार राष्ट्रपति शासन और आठ बार सरकार में बदलाव का अनुभव झेल चुकी जनता के सामने 13 साल की अल्पायु में 9वें मुख्यमंत्री के रूप हेमंत सोरेन की ताजपोशी ने राज्य की राजनीतिक स्थिरता को पुन: खतरे में डाल दिया है.
वर्तमान में राज्य की स्थिति श्रीहरिकोटा और पोखरण जैसी हो गयी है, जहां से साल-दो साल में कोई न कोई मिसाइल प्रयोग के लिए प्रक्षेपित की जाती है. कभी मधु कोड़ा को, तो कभी शिबू सोरेन को राजनीतिक मिसाइल के रूप में प्रयोग किया गया. दोनों छोड़े तो गये थे, लेकिन लक्ष्य को भेद न पाने का मलाल है.
राजनीतिक दल चाहे राष्ट्रीय हों या क्षेत्रीय, सभी ने पिछले 12वर्षो में, राज्य को राजनीतिक प्रक्षेपण केंद्र तथा राजनीति के लिए चरागाह बना दिया. इस बार हेमंत सोरेन को मिसाइल के रूप में कांग्रेस द्वारा परोक्ष रूप से लांच किया गया है. इस नयी सरकार से आम जनता का कुछ भला नहीं होगा. हां, निश्चित रूप से राज्य खनिज संपदा की लूट की छूट का अखाड़ा बन जयेगा.
।। विश्वनाथ मुर्मू ।।
(जमशेदपुर)