निशाने पर हिंदू धर्म तो नहीं?
वर्ष 2014 के आखिरी दिनों में रिलीज हुई फिल्म पीके ने यह साबित कर दिया है कि इसके निर्माता-निर्देशक ही नहीं, बल्कि इसमें काम करनेवाले कलाकार और दर्शक भी हिंदू-विरोधी हो गये हैं. देश में हो रहे भारी विरोध के बावजूद फिल्म ने 400 करोड़ रुपये से भी अधिक का कारोबार कर लिया है. इस […]
वर्ष 2014 के आखिरी दिनों में रिलीज हुई फिल्म पीके ने यह साबित कर दिया है कि इसके निर्माता-निर्देशक ही नहीं, बल्कि इसमें काम करनेवाले कलाकार और दर्शक भी हिंदू-विरोधी हो गये हैं. देश में हो रहे भारी विरोध के बावजूद फिल्म ने 400 करोड़ रुपये से भी अधिक का कारोबार कर लिया है.
इस फिल्म को देखनेवाले दर्शक न केवल दूसरे समुदाय के हैं, बल्कि हिंदू धर्म को माननेवाले भी इसे देख रहे हैं. फिल्म का जितना अधिक विरोध किया जा रहा है, बिजनेस भी उसी रफ्तार से बढ़ रहा है. आज देश में दो तरह की धाराएं बह रही हैं. इसे देखने के बाद ऐसा लगता है कि कहीं फिल्म में हिंदू धर्म को लक्ष्य करके राजनीतिक निशाना तो नहीं साधा गया है? इस तरह के तथ्यों का फिल्मों में दिखाना हिंसा को बढ़ावा देना है, जो इंसानियत के खिलाफ है.
आलोक रंजन, हजारीबाग