असली चुनौती तो अब शुरू हुई है
-हेमंत सरकार को विश्वासमत-झारखंड विधानसभा में हेमंत सोरेन की सरकार ने गुरुवार को विश्वासमत आसानी से हासिल कर लिया. प्रस्ताव के पक्ष में 43 और विपक्ष में 37 मत पड़े. आसान जीत. पहले ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही थी कि कुछ फरार विधायकों के कारण सरकार को थोड़ी परेशानी हो सकती है. हेमंत सोरेन […]
-हेमंत सरकार को विश्वासमत-
झारखंड विधानसभा में हेमंत सोरेन की सरकार ने गुरुवार को विश्वासमत आसानी से हासिल कर लिया. प्रस्ताव के पक्ष में 43 और विपक्ष में 37 मत पड़े. आसान जीत. पहले ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही थी कि कुछ फरार विधायकों के कारण सरकार को थोड़ी परेशानी हो सकती है. हेमंत सोरेन की सरकार ने भले ही विश्वासमत हासिल कर लिया हो, पर असली चुनौती अब आनेवाली है.
विपक्ष की ओर से कम, सत्ता पक्ष की ओर से अधिक. सबसे बड़ा संकट कैबिनेट के विस्तार में आनेवाला है. यह सरकार झ़ामुमो, कांग्रेस, राजद और निर्दलीयों की है. कांग्रेस और राजद की ओर से बहुत ज्यादा परेशानी कैबिनेट विस्तार में नहीं आयेगी. इन दलों के कौन विधायक मंत्री बनेंगे, यह तय है. इनके आलाकमान इस पर निर्णय करते हैं. किसकी मजाल कि दिल्ली (कांग्रेस) या फिर पटना (लालू प्रसाद ) के निर्णय पर सवाल करे. झामुमो के अंदर कई वरिष्ठ नेता हैं जो मंत्री बनना चाहते हैं. एक को बनायेंगे, तो दूसरा नाराज, इससे ही झामुमो को निबटना होगा.
वैसे भी कई झामुमो नेता (संताल के) कांग्रेस के साथ सरकार बनाने से नाराज चल रहे हैं. इसलिए हेमंत सोरेन को फूंक–फूंक कर कदम रखना होगा. एक दिन पहले तक निर्दलीयों का नाटक चलता रहा. सबको मनाया गया. लेकिन कब तक? बंधु तिर्की मंत्री बनना चाहते हैं. किसका कटेगा पत्ता? कोई भी दल नहीं चाहेगा कि उसका कोटा कम हो. ऐसे में या तो बंधु तिर्की मंत्री नहीं बनेंगे या फिर झामुमो का ही कोटा घटेगा. एक निर्दलीय को मंत्री बनाया, तो दूसरे की भी मांग उठेगी. ये सब चुनौतियां हेमंत सोरेन के सामने हैं.
संतोष की बात यह है कि हेमंत सोरेन के साथ कांग्रेस के कुछ अनुभवी नेता हैं. ये लोग झामुमो को संकट से निकालने में सहायक साबित होंगे. झारखंड को पटरी पर लाने का काम इस सरकार को करना है. हेमंत सोरेन से राज्य के लोग बहुत उम्मीद लगाये बैठे हैं. उनका काम ही बतायेगा कि राज्य किधर जा रहा है.
वे युवा हैं, उनमें निर्णय लेने की क्षमता है. जैसे ही कैबिनेट का विस्तार होगा, सरकार को ऐसे काम करने होंगे, जिससे झारखंड की जनता के बीच सरकार के प्रति अच्छा संदेश जाये और उसमें विश्वास जागे. राज्य के हालात चिंताजनक हैं. पर सिर्फ चिंता करने से कुछ नहीं होगा. ठोस निर्णय लेने होंगे. विपक्ष का सहयोग आवश्यक है. राज्य को बेहतर बनाने का जिम्मा सिर्फ सरकार का नहीं, बल्कि विपक्ष का भी है. दोनों अगर राज्य हित में सोचें, तो झारखंड पटरी पर आ सकता है.