अश्लीलता से दूर रहे सरस्वती पूजा
सरस्वती पूजा नजदीक आ रही है. जब देवी-पूजन की बात आती है, तो जेहन में सबसे पहले नारी सम्मान की बात आती है. लेकिन पूजा की आड़ में युवा पीढ़ी और पूजा के आयोजकों की ओर से जो ईलता फैलायी जाती है, मैं लोगों का ध्यान उस ओर आकर्षित करना चाहती हैं. खास कर युवाओं […]
सरस्वती पूजा नजदीक आ रही है. जब देवी-पूजन की बात आती है, तो जेहन में सबसे पहले नारी सम्मान की बात आती है. लेकिन पूजा की आड़ में युवा पीढ़ी और पूजा के आयोजकों की ओर से जो ईलता फैलायी जाती है, मैं लोगों का ध्यान उस ओर आकर्षित करना चाहती हैं. खास कर युवाओं को तो इस अखबार के माध्यम से यह सचेत करना ही चाहती हूं.
नये साल की शुरुआत हो गयी है. विद्या अध्ययन के क्षेत्र से ताल्लुक रखनेवाले छात्रों, स्कूल-कॉलेजों और शिक्षण संस्थानों ने सरस्वती पूजा को लेकर अभी से तैयारियां शुरू हो गयी हैं. बच्चे धूम-धाम से पूजा करने के लिए चंदा एकत्र करना शुरू कर चुके हैं. एक ओर तो यह पूजा छात्रों को एकता, सामाजिकता और संगठित होकर काम करने की प्रेरणा देती है, वहीं यह पूजा कुछेक लोगों की वजह से परेशानी का सबब बन कर रह गयी है. पूजा के दो दिन पहले से ही लाउडस्पीकर और आधुनिक म्यूजिक सिस्टम से कानफोड़ आवाज में गानों के साथ ईलता का प्रदर्शन करना बहुत खराब लगता है.
दुख तो तब होता है, जब बच्चों की इस ईल हरकत को उनके अभिभावक ही बढ़ावा देते हैं. विद्या की अधिष्ठात्री देवी की पूजा करना कोई गुनाह नहीं है. देश-समाज के सभी वर्ग, धर्म, संप्रदाय के लोगों को यह पूजा करनी चाहिए, लेकिन इसे संयमित दायरे में किया जाए, तो यह सबके अच्छा होगा. धार्मिक भावना और आस्था को देख कर प्रशासनिक अधिकारी भी कठोर कार्रवाई करने से बचते हैं, लेकिन हर स्थान पर कानून के नियमों को मरोड़ना भी उचित नहीं है. इसके लिए समाज के लोगों को ही आगे आना होगा, ताकि पूजा के नाम पर ईलता का प्रदर्शन न हो.
अनामिका देवी, रांची