दागी सांसदों और विधायकों से संसद और विधानसभाओं को मुक्त कराने के लिए इस देश के माननीय उच्चतम न्यायालय ने जो संविधानसम्मत फैसला दिया है, मैं उसका मुरीद हो गया हूं. वास्तव में इस देश के जनप्रतिनिधियों ने जनतंत्र के नाम पर न जाने कितने असंवैधानिक क्रियाकलापों को थोथी दलीलों से कानूनी जामा पहना दिया है, जिससे भ्रष्टाचार और लूट की राजनीति को बढ़ावा मिला है.
झारखंड इसका जीवंत उदाहरण है. कुछ दिनों पहले यहां अर्जुन मुंडा की सरकार सत्ता में थी. एक पार्टी के समर्थन वापस लेने की वजह से वह सरकार गिर गयी. अब उन्हीं जनप्रतिनिधियों ने फिर से सरकार बना ली है. ऐसा लगता है कि केवल सत्ता के लालच में ऐसा किया गया.
सरकार को समर्थन देने के लिए कई नामी गिरामी नेता, जिन्होंने भ्रष्टाचार और अपराध के क्षेत्र में नये–नये रिकॉर्ड बनाये हैं, विधानसभा पहुंचे. इन सबके पीछे लोकतंत्र की दुहाई दी गयी. और यह भी इसी लोकतंत्र की ही बानगी है कि कोई भी व्यक्ति पैसे के बल पर पार्टी के नेताओं को खरीद कर किसी भी राज्य से चुन कर राज्यसभा में चला जाता है. आशा है अब यह व्यवस्था सुधरेगी.
।। गोपाल शंकर वर्मा ।।
(बोड़ेया, रांची)