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विज्ञान की संस्कृति रचने की दरकार

102वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को राष्ट्र निर्माण में सहायक बनाने पर जोर दिया. उनकी इस बात से शायद ही कोई असहमति हो कि ‘राष्ट्र और मानव का विकास विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से जुड़ा हुआ है.’ गरीबी कम करने, स्वास्थ्य की दशा सुधारने से लेकर धरती को पर्यावरणीय […]

102वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को राष्ट्र निर्माण में सहायक बनाने पर जोर दिया. उनकी इस बात से शायद ही कोई असहमति हो कि ‘राष्ट्र और मानव का विकास विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से जुड़ा हुआ है.’
गरीबी कम करने, स्वास्थ्य की दशा सुधारने से लेकर धरती को पर्यावरणीय संकटों से बचाने और लोगों तक सेवा, सामान व सूचनाएं त्वरित गति से पहुंचाने में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुई प्रगति निर्णायक है. तभी तो मानव-विकास सूचकांक में श्रेष्ठ देश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के मामले में भी श्रेष्ठ हैं. कोई भी विकासोन्मुख राष्ट्र विज्ञान-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में निवेश, अनुसंधान और नवाचार की जरूरत की अनदेखी नहीं कर सकता. ऐसे में यह विचार अच्छा है कि विज्ञान व प्रौद्योगिकी की प्राथमिकताएं विकास के नजरिये से तय की जायें. इस समय कोई आम आदमी जब पढ़ता-सुनता है कि अज्ञात बीमारी से हर साल सैकड़ों बच्चे काल-कवलित हो रहे हैं, तो उसके मन में देश में प्रचलित विज्ञान और उसे विकास का औजार बनानेवाली सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल उठते हैं.
उसका मन पूछता है कि ‘अज्ञात’ बीमारी को सरकार क्यों नहीं रोक पा रही है? वह यह जानकर हतप्रभ होता है कि छह दशक से विज्ञान और प्रौद्योगिकी को विकास का उपकरण बनानेवाला यह देश टीबी और मलेरिया जैसे रोगों के उपचार के लिए अब भी चार दशक पुरानी दवाओं का इस्तेमाल कर रहा है.
देश का किसान उन्नत बीजों-कीटनाशकों को अपना कर ‘दूसरी हरित क्रांति’ के सपने में शामिल होना चाहता है, लेकिन यह भी जानना चाहता है कि मिट्टी, पानी और फसल को जहरीला होने से कैसे बचाया जाये. दरअसल, ऐसे देश में, जहां प्राथमिक स्तर के स्कूलों के लिए विज्ञान प्रयोगशाला सपने की तरह हों, शिक्षा के उच्च संस्थानों में विज्ञान को विषय बना कर पढ़ने, जहां शोध करनेवाले विद्यार्थियों की संख्या लगातार घट रही हो; विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विस्तार का अर्थ सिर्फ नयी संस्थाएं गढ़ना, उनमें निवेश बढ़ाना और उन्हें स्वायत्त बनाना भर नहीं होता. वहां मुख्य चुनौती विज्ञान की संस्कृति रचने की होती है. इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि प्रधानमंत्री की कार्य योजनाओं में देश में विज्ञान प्रेरित संस्कृति गढ़ने का एजेंडा भी शामिल होगा.

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