पाक की हरकतों पर फिर से सोचना होगा

इन दिनों जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा और सीमा पर पाकिस्तान की ओर से हो रही नापाक हरकतें एक नये किस्म की नाउम्मीदी को जन्म दे रही हैं. पिछले साल भारत में भारी बहुमत से एक नयी सरकार बनने के बाद उम्मीद जगी थी कि पाकिस्तान अब अपनी नापाक हरकतों से बाज आयेगा. बीते कुछ महीनों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 6, 2015 6:20 AM
इन दिनों जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा और सीमा पर पाकिस्तान की ओर से हो रही नापाक हरकतें एक नये किस्म की नाउम्मीदी को जन्म दे रही हैं. पिछले साल भारत में भारी बहुमत से एक नयी सरकार बनने के बाद उम्मीद जगी थी कि पाकिस्तान अब अपनी नापाक हरकतों से बाज आयेगा.
बीते कुछ महीनों में संघर्ष विराम के उल्लंघन का सुरक्षा बलों ने कई बार मुंहतोड़ जवाब भी दिया है. लेकिन, इससे हालात सुधरने के बजाय लगातार बिगड़ते प्रतीत हो रहे हैं. पिछले पांच दिनों से पाक रेंजर्स की ओर से जब-तब हो रही भारी गोलाबारी में कई जवानों व नागरिकों की जान जा चुकी है. इससे सीमावर्ती गांवों में दहशत का माहौल है और ढाई हजार से अधिक लोग जान बचाने के लिए पलायन कर चुके हैं. इस बीच विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने पाक प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज को पत्र लिख कर संघर्ष विराम के उल्लंघन की घटनाओं पर कड़ा विरोध भी दर्ज कराया है.
उम्मीद थी कि इस कूटनीतिक संवाद का पाकिस्तान की ओर से कोई सकारात्मक जवाब मिलेगा, लेकिन पाक रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने उल्टे भारत पर आरोप मढ़ते हुए सबक सिखाने की धमकी दे दी है. पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रों में आतंकियों की सक्रियता के वीडियो, मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद की मौजूदगी की खुफिया जानकारी, भारतीय जल सीमा में घुसी संदिग्ध पाकिस्तानी नौका में धमाका और जहाज अपहरण की धमकी आदि से जाहिर होता है कि पाक रेंजर की फायरिंग की आड़ में पाक-समर्थित आतंकी कोई बड़ी साजिश रच रहे हैं.
ऐसे संकेत लगातार मिल रहे हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की इस माह होनेवाली भारत यात्र से पहले आतंकवादी भारतीय जमीन, जल या आकाश में किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में हैं. ऐसे समय में अमेरिका ने दोहरा रवैया अपनाते हुए आतंकी संगठनों के खिलाफ नवाज शरीफ की सरकार की कार्रवाई को प्रमाणित कर दिया है, जिससे पाकिस्तान को और आर्थिक मदद का रास्ता साफ हो गया है. जाहिर है, इन तथ्यों व चुनौतियों के आलोक में भारत को नये सिरे से रक्षा रणनीति बनाने, कूटनीतिक प्रयास करने और अतिरिक्त चौकसी बरतने की जरूरत है.

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