विकास के कार्यो में न चले बहानेबाजी
झारखंड के नये मुख्यमंत्री रघुवर दास की नयी दिल्ली में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई केंद्रीय मंत्रियों और नेताओं से मुलाकात आम जनता के बीच नयी आशा का संचार करती है. सूबे के मुखिया ने झारखंड के विकास में कें्रद से भरपूर मदद की गुजारिश की है. उन्हें सकारात्मक सहयोग का आश्वासन […]
झारखंड के नये मुख्यमंत्री रघुवर दास की नयी दिल्ली में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई केंद्रीय मंत्रियों और नेताओं से मुलाकात आम जनता के बीच नयी आशा का संचार करती है. सूबे के मुखिया ने झारखंड के विकास में कें्रद से भरपूर मदद की गुजारिश की है. उन्हें सकारात्मक सहयोग का आश्वासन भी मिला है.
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय सड़क व परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात के दौरान बरही-बहरागोड़ा सड़क को फोरलेन करने के काम में तेजी लाने की मांग की है. इसको फोरलेन करने का काम कई वर्षो से हो रहा है. कई सरकारें आयीं और चली गयीं. लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात रहा. स्थिति यह है कि काम अब भी अधूरा है. इसमें तेजी नहीं आने के कई कारण हैं.सड़क बरही-हजारीबाग-रांची-महुलिया से बहरागोड़ा तक बननी है. इसके लिए एजेंसियों का चुनाव भी हुआ.
उन्हें काम दिया भी गया. लेकिन किसी न किसी पेंच के कारण पूरा नहीं हुआ. बरही से हजारीबाग में फोरलेन बनाने का काम जिस एजेंसी को दिया गया, उसने बीच में ही काम बंद कर दिया. अब यह काम किसी दूसरी एजेंसी को देना होगा. मतलब साफ है. और विलंब होगा. क्योंकि काम अवार्ड करने की एक प्रक्रिया होती है. प्रक्रिया के बाद ही काम शुरू हो पायेगा. नयी सरकार के समक्ष यह चुनौती है कि कैसे इस काम को आगे बढ़ाती है. कुछ ऐसी ही स्थिति रांची से महुलिया के बीच है. यहां काम तो एजेंसी को अवार्ड है, लेकिन जिस एजेंसी को इस काम की जिम्मेदारी सौंपी गयी है, काफी सुस्त है. निहायत ही धीमी गति से काम हो रहा है.
अगर काम की यही गति रही, तो फोरलेनिंग के काम और कितना समय लगेगा, यह यक्ष प्रश्न है. इतना ही नहीं काम पूरा नहीं होने से आये दिन एनएच पर दुर्घटनाएं हो रही हैं. सड़क चौड़ीकरण के कारण जगह-जगह गड्ढे खोदे गये हैं. ये गड्ढे जानलेवा साबित हो रहे हैं. सवाल यह है कि नयी सरकार में इस काम को गति मिलेगी? क्या उन एजेंसियों पर कोई कार्रवाई होगी, जिन्होंने काम तो ले लिया, लेकिन समय पर पूरा करने में विफल रहे. ये सब कुछ ऐसे सवाल हैं, जिस पर नयी सरकार को गौर करना होगा. साथ ही राज्य में मॉनीटरिंग सिस्टम को दुरुस्त करना होगा, जिससे बेलगाम एजेंसियों पर लगाम लगायी जा सके.