15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

वाह रे ऊपर वाले चोर पर इतनी दया

इस शनिवार को भी मैं बहुत खुश थी, क्योंकि अगला दिन रविवार था. रविवार यानी छुट्टी का दिन. तो इस रविवार को भी सोचा था कि लेट से उठूंगी, लेकिन सात बजते ही पेपरवाले ने दरवाजा खटखटा कर मेरी नींद तोड़ी. वो सुबह-सुबह पैसे मांगने आ धमका. अब क्या था! उठ ही गयी थी, तो […]

इस शनिवार को भी मैं बहुत खुश थी, क्योंकि अगला दिन रविवार था. रविवार यानी छुट्टी का दिन. तो इस रविवार को भी सोचा था कि लेट से उठूंगी, लेकिन सात बजते ही पेपरवाले ने दरवाजा खटखटा कर मेरी नींद तोड़ी. वो सुबह-सुबह पैसे मांगने आ धमका. अब क्या था! उठ ही गयी थी, तो किचन में घुसी और साफ-सफाई में लग गयी. दोपहर में पति ने बाहर घूमने का प्लान सुनाया. मुङो भी ठीक लगा क्योंकि कई दिनों से हम बाहर नहीं गये थे.

झटपट हम तैयार हुए और घूमने निकल पड़े. चूंकि लंच बाहर करना था, शॉपिंग और डॉक्टर से अपॉइंटमेंट भी निपटाना था तो मैं तकरीबन चार हजार रुपये लेकर निकल पड़ी. घर से निकलते वक्त चेहरे पर बड़ी-सी मुस्कान थी. सबसे पहले हमलोग एक रेस्त्रं गये और भरपेट स्वादिष्ट खाना खाया. जितना खाया उसके हिसाब से बिल देख कर बड़ी खुशी हुई. फिर हम डॉक्टर के पास गये. सबसे आश्चर्य वाली बात हुई, डॉक्टर ने फीस नहीं ली, और तो और दवाइयां भी फ्री में ही दे दी.

मैं तो गदगद, मन ही मन सोचा वाह! क्या बात है, आज तो जैसे ऊपर वाले की दया-दृष्टि हमारे ऊपर से हट ही नहीं रही है. खूब पैसा बच रहा है. पतिदेव ने मुझसे कहा, डॉक्टर को फीस लेनी चाहिए थी, जान-पहचान है तो उससे क्या? मैंने उन्हें चुप कराया और कहा, जो होता है अच्छे के लिए होता है. अब शुरुआत हमारी इतनी अच्छी हो ही गयी थी तो मैंने सोचा कि आज जहां भी जाऊंगी किस्मत हमारा साथ देगी. कुछ देर तक हुआ भी यही. जब हम रॉक गार्डेन पहुंचे तो वहां काफी भीड़ थी, लेकिन जैसे ही हमने प्रवेश किया पूरी भीड़ एक साथ बाहर निकलने लगी, मानो हमारे लिए पूरा पार्क खाली हो रहा हो. मेरे मन में तो लड्ड फूटने लगे.

घूमने-फिरने के बाद हम शॉपिंग के लिए बाजार पहुंचे. वहां भी बहुत ही कम रेट में मुङो अच्छा स्वेटर मिल गया. विश्वास नहीं हो रहा था कि इतनी लकी हूं मैं! मैंने अपने पति से चुटकी लेते हुए कहा, देखा कितनी अच्छी किस्मत है मेरी, जहां जा रही हूं काम बनता जा रहा है. हम बिलिंग काउंटर पहुंचे, तो वह भी खाली था. मैंने स्वेटर बिलिंग के लिए दिया, फिर वॉलेट निकालने के लिए बैग खोला. बैग खोलते ही मेरे होश उड़ गये क्योंकि मेरे बैग में वॉलेट था ही नहीं. अब तो मेरे होश उड़ गये और मैंने अपने पति देव से पूछा, क्या वॉलेट मैंने उन्हें दिया है? उन्होंने मुङो ही दोषी ठहराते हुए कहा कि मैंने ही कहीं छोड़ दिया होगा. तभी उनकी नजर मेरे बैग के पीछे तरफ पड़ी, जो पूरा कटा हुआ था. और शायद उसी रास्ते से किसी ने वॉलेट भी निकाल लिया था. अब धीरे-धीरे मुङो सारा माजरा समझ में आने लगा. मैं समझ गयी कि भगवान की दया-दृष्टि मेरे ऊपर नहीं बल्कि उस चोर पर थी और इसलिए हर जगह मेरे पैसे बचते ही जा रहे थे ताकि उसके एकाउंट में अच्छे-खासे पैसे जमा हो पायें. फिर क्या था! मुंह लटकाये अपनी किस्मत को वहीं बाय-बाय बोल कर मैं निकल पड़ी अपने घर.

रूपम

प्रभात खबर, रांची

rupam.pkmedia@gmail.com

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें