रोजगार दिलानेवाली शिक्षा चाहिए
पहले के समय में बड़े–बुजुर्ग एक जुमला अक्सर बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखने के लिए कहा करते थे, ‘पढ़ो–लिखोगे तो बनोगे नवाब.’ क्या आज यह जुमला शत–प्रतिशत सही है? वर्तमान में हर व्यक्ति शिक्षित होना चाहता है. हो भी क्यों न! सरकार का हाथ जो उन पर है. साक्षरता मिशन, मिड–डे मील और न […]
पहले के समय में बड़े–बुजुर्ग एक जुमला अक्सर बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखने के लिए कहा करते थे, ‘पढ़ो–लिखोगे तो बनोगे नवाब.’ क्या आज यह जुमला शत–प्रतिशत सही है? वर्तमान में हर व्यक्ति शिक्षित होना चाहता है. हो भी क्यों न! सरकार का हाथ जो उन पर है.
साक्षरता मिशन, मिड–डे मील और न जाने कितने तरह के उपाय हो रहे हैं, ताकि देश में शिक्षित बेरोजगारों की फौज खड़ी की जा सके. शिक्षा तो हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है, जिस पर प्रतिवर्ष सरकार लाखों–करोड़ों खर्च कर रही है, लेकिन रोजगार बढ़ाने के संसाधनों के विकास में वह फिसड्डी है.
पिछले 10-15 वर्षो में अनेक सरकारी व गैर सरकारी उद्योगों में ताला लग चुका है. सरकार बुनियादी शिक्षा के प्रति उदासीन है. ऐसे में निजी संस्थान विद्यार्थियों से मोटी रकम लेकर हर वर्ष लाखों इंजीनियरिंग व एमबीए की डिग्रियां बांट रहे हैं. क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था में वह गुण नहीं जो एक आम विद्यार्थी को शिक्षित कर उसे अपने पांव पर खड़ा कर सके? सरकार को चाहिए कि वह सिर्फ शिक्षा नहीं, बल्कि रोजगारपरक शिक्षा की बाते करे.
।। रितेश कुमार ।।
(कतरास)