शुभ नहीं है श्रेय लेने की राजनीति

* गोड्डा में शिलान्यास रुका झारखंड राज्य अभी तक विकास के लिए तरस रहा है. बावजूद इसके केंद्र प्रायोजित कई योजनाएं राजनीति के भंवर में फंस कर पूरी नहीं हो पाती हैं. योजना मद की राशि लौट जाती है. क्या इससे राज्य का भला होगा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विश्वासमत हासिल करने के क्रम में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 22, 2013 3:58 AM

* गोड्डा में शिलान्यास रुका

झारखंड राज्य अभी तक विकास के लिए तरस रहा है. बावजूद इसके केंद्र प्रायोजित कई योजनाएं राजनीति के भंवर में फंस कर पूरी नहीं हो पाती हैं. योजना मद की राशि लौट जाती है. क्या इससे राज्य का भला होगा.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विश्वासमत हासिल करने के क्रम में सदन में एक अहम बात कही थी : ‘‘आलोचना अच्छी बात है. आलोचना के माध्यम से रास्ता निकलता है.’’ लेकिन इस तरह की बात करना ही पर्याप्त नहीं है, इसे अमल में लाना जरूरी है. गोड्डा में पिछले दिनों जो राजनीति देखने को मिली, वह कहीं से भी राज्य के लिए स्वस्थ नहीं है.

प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत करीब 80 करोड़ की लागत से 34 योजनाओं का शिलान्यास होना था. इस योजना का शिलान्यास स्थानीय सांसद निशिकांत दुबे के हाथों होना था. पार्टी स्तर पर इसकी तैयारी हो चुकी थी. तभी वहां के डीसी ने भाजपा जिलाध्यक्ष को पत्र भेज कर शिलान्यास को रोकने का आग्रह किया.

पत्र में कहा गया कि उक्त शिलान्यास कार्यक्रम मुख्यमंत्री के हाथों निर्धारित है. क्या यहां सरकार की बदले की राजनीति नहीं झलकती है? इन योजनाओं को केंद्र से पास कराने में सांसद की अहम भूमिका थी. साथ ही केंद्रीय ग्रामीण विकास विभाग के नियमों में यह प्रावधान है कि इन योजनाओं के शिलान्यास का विधिक अधिकार लोकसभा सदस्य को भी है.

इस लड़ाई में अगर योजना समय पर शुरू नहीं होती है तो इसके लिए कौन दोषी होगा? झारखंड बनने के बाद से ही यह परिपाटी बन गयी है कि क्षेत्र में अपनी राजनीति चमकाने के लिए ऐसे मौकों को भुनाने से कोई पीछे नहीं हटता है. यहां के राजनेताओं को पता होना चाहिए कि बदले की राजनीति से विकास बाधित होता है. इससे पहले भी देवघर में क्यू-कांप्लेक्स का शिलान्यास एक बार राजनीति में फंस कर टल गया था.

अगर सही समय पर शिलान्यास हो गया होता तो शायद इस बार श्रावणी मेले में कांवरिये सुविधायुक्त कांप्लेक्स में पंक्तिबद्ध होते. उस बार केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय शिलान्यास करनेवाले थे, लेकिन ऐन वक्त पर राज्य सरकार ने इस पर रोक लगा दी थी. सभी राजनेताओं को केंद्र व राज्य की राजनीति से अलग झारखंड के विकास के बारे में सोचना चाहिए.

मुख्यमंत्री बनने के बाद हेमंत सोरेन ने साथ मिल कर झारखंड को संवारने की बात कही है. अब तो उनको बड़े व उदार दिल का परिचय देकर एक सूत्री उद्देश्य राज्य के विकास पर ध्यान देना चाहिए. राज्य जितना आगे बढ़ेगा, हेमंत सोरेन का कद भी उतना बढ़ेगा.

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