पप्पू की पाठशाला और फेंकू की प्रयोगशाला

।। अखिलेश्वर पांडेय ।। (प्रभात खबर, जमशेदपुर) इन दिनों देश के राजनीतिक गलियारे में दो ही बातों की चर्चा है– पप्पू की पाठशाला और फेंकू की प्रयोगशाला. पप्पू जो अभी खुद ही राजनीति का ककहरा सीख रहा है पार्टी के सीनियर मोस्ट नेताओं को आगामी लोकसभा चुनाव में जीतने का पाठ पढा रहा है. पप्पू […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 24, 2013 4:39 AM

।। अखिलेश्वर पांडेय ।।

(प्रभात खबर, जमशेदपुर)

इन दिनों देश के राजनीतिक गलियारे में दो ही बातों की चर्चा हैपप्पू की पाठशाला और फेंकू की प्रयोगशाला. पप्पू जो अभी खुद ही राजनीति का ककहरा सीख रहा है पार्टी के सीनियर मोस्ट नेताओं को आगामी लोकसभा चुनाव में जीतने का पाठ पढा रहा है. पप्पू उन्हें सीखा रहा है कि उन्हें कैसे बोलना है/कैसे बोलना चाहिए.इस पर विपक्षी पार्टी ने तंज कसा चूजा सिखाये मुर्गा को, चूंचूं मत करो.

दरअसल, देश की सबसे पुरानी पार्टी करीब एक दशक से पप्पू के बड़ा होने का इंतजार कर रही है. पप्पू की उम्र तो बढ़ रही है, लेकिन वह बड़ा नहीं हो रहा है. वह उम्र के चालीस से ज्यादा पड़ाव पार कर गया है, लेकिन अब भी देश उसकी प्राथमिक पाठशाला बनी हुई है. उसमें देश की बागडोर संभालने का आत्मविश्वास अब भी नहीं आया है.

पप्पू हर रोज जितना सीखता है, वह देश को बता भी देता हैबिल्कुल नर्सरी के बच्चे की तरह, जो स्कूल से लौट कर मम्मी को बताता है कि आज टीचर ने उसे क्या सिखाया. पप्पू अभी सीख रहा है. शायद इसीलिए जब भी प्रधानमंत्री पद के लिए उसका नाम आता है, वह उसे खारिज कर देता है. उसे पता है कि जब उसे प्रधानमंत्री बनना होगा तो उसकी पार्टी में कोई उसे रोक नहीं पायेगा, बशर्ते उसकी पार्टी सरकार बनाने की हैसियत में हो.

दूसरी तरफ फेंकू आत्मविश्वास से लबरेज है. उन्हें अपनी वाक कला पर भरोसा है. वह उग्र हिंदुत्व के साथ विकास का नायाब प्रयोग करके हस्तिनापुरफतह पर निकले हैं. वह अब कुत्ते के बच्चे तक को नहीं मारना चाहते. कहते हैं इस बार कारसावधानी से चलाना है ताकि कोई उसके नीचे नहीं जाये. वह देश को बताना चाहता है कि उसका दिल कितना बड़ा है, वह कितना दयालु है, वह कितना बदलगया है. उसे पार्टी की पुरानी घटनाओं से पता चल गया है कि धर्मोन्माद से देश की सत्ता पर कब्जा नहीं किया जा सकता. यह जादू ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रहता.

खबर है कि फेंकू ने पार्टी के भीष्म पितामह से अपना मनभेद सुलझा लिया है. शायद फेंकू ने भीष्म पितामह को यह बात समझा दिया हो कि हमारी पार्टी में बुजुर्ग नेताओं और यूज एंड थ्रोका पुराना नाता रहा है. फेंकू जब से चुनाव प्रचार अभियान का मेठबना है उसकी सीना और चौड़ा हो गया है. उसकी बांछे खिल उठी हैं. इस बहाने उसे अपनी पार्टी के उन ऐंठेनेताओं को नीचा दिखाने का सुअवसर मिल गया है जो उसके नाम से ही नाकमुंह टेढ़ा करते थे.

अब वही नेता उनके मातहत विभिन्न कमेटियों में काम करते हुए फेंकू को रिपोर्ट करेंगे. फेंकू ने चुनाव प्रचार की तैयारियों के नाम पर पार्टी को प्रयोगशाला बना रखा है. रोज नयेनये हथकंडे और प्रयोग हो रहे हैं. देखना है वोटर दुआसलामकरते हैं या रामराम’.

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